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‘बीदरी सुराही, नागा शॉल, गोंड पेंटिंग’, PM मोदी ने BRICS राष्ट्राध्यक्षों को दिए शानदार तोहफे, जानें इनकी खासियत

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा को तेलंगाना की बीदरी वर्क वाली ‘सुराही’ उपहार में दी. बीदरी शिल्प विशुद्ध रूप से भारतीय आविष्कार है. यह शिल्पकला 500 साल पुरानी है. इसकी शुरुआत विशेष रूप से कर्नाटक के बीदर से हुई थी. बीदरी को जस्ता, तांबे और अन्य अलौह धातुओं के मिश्र धातु के साथ ढाला जाता है. ढलाई पर सुंदर पैटर्न उकेरे जाते हैं और शुद्ध चांदी के तार जड़े होते हैं. फिर ढलाई को बीदर किले की विशेष मिट्टी, जिसमें विशेष ऑक्सीकरण गुण होते हैं, के साथ मिश्रित घोल में भिगोया जाता है

इसके कारण जिंक मिश्र धातु चमकदार काले रंग में बदल जाती है, जिसमें चांदी के तार काले रंग की पृष्ठभूमि के साथ आश्चर्यजनक रूप से उभरकर सामने आते हैं. पीएम ने दक्षिण अफ्रीका की प्रथम महिला त्सेपो मोत्सेपे को नागालैंड शॉल उपहार में दिया. नागा शॉल कला का एक उत्कृष्ट रूप है, जिसे नागालैंड राज्य की जनजातियों द्वारा सदियों से बुना जाता रहा है. ये शॉल अपने जीवंत रंगों, जटिल डिजाइनों और पारंपरिक बुनाई तकनीकों के उपयोग के लिए जाने जाते हैं. यह कला पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है

पीएम मोदी ने लूला डा सिल्वा को भेंट की गोंड पेंटिंग
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा को मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग उपहार में दी. गोंड पेंटिंग सबसे प्रशंसित जनजातीय कला रूपों में से एक है. ‘गोंड’ शब्द द्रविड़ियन अभिव्यक्ति ‘कोंड’ से आया है जिसका अर्थ है ‘हरा पहाड़’. बिंदुओं और रेखाओं द्वारा बनाई गई ये पेंटिंग गोंडों की दीवारों और फर्शों पर चित्रात्मक कला का हिस्सा रही हैं. प्रत्येक घर के निर्माण और पुनर्निर्माण के दौरान दीवारों और फर्शों पर ये पेंटिंग्स बनाई जाती हैं. इसे बनाने में स्थानीय रूप से उपलब्ध प्राकृतिक रंगों और लकड़ी का कोयला, रंगीन मिट्टी, पौधे का रस, पत्तियों, गोबर, चूना पत्थर पाउडर, आदि जैसी सामग्रियों का उपयोग होता है.