Home देश ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ कैसे होगा पूरा? कानून मंत्री ने बताए फायदे, 5...

‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ कैसे होगा पूरा? कानून मंत्री ने बताए फायदे, 5 बाधाओं का भी किया जिक्र

0

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को नए सिरे से बल मिलने से कुछ सप्ताह पहले, जब सरकार ने एक पैनल से प्रस्ताव की जांच करने को कहा था, तब केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने देश भर में चुनावों को एक साथ कराने के लिए बड़ी बाधाओं और अनिवार्यताओं को सूचीबद्ध किया था. इसी संबंध में अर्जुन मेघवाल ने 27 जुलाई को संसद में किरोड़ी लाल मीना द्वारा उठाए गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में “एक राष्ट्र-एक चुनाव” के विचार के पक्ष में तर्क दिए और साथ ही इस राह में आने वाली पांच बाधाओं के बारे में भी बताया.

कानून मंत्री ने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव लागू करने के लिए संविधान के पांच अनुच्छेदों में संशोधन की आवश्यकता होगी. इनमें संसद के सदनों की अवधि पर अनुच्छेद 83, राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा को भंग करने पर अनुच्छेद 85, राज्य विधानमंडलों की अवधि पर अनुच्छेद 172, राज्य विधानमंडलों को भंग करने पर अनुच्छेद 174 और राज्यों में राष्ट्रपति शासन पर अनुच्छेद 356 शामिल हैं.

राजनीतिक दलों और राज्‍य सरकारों की सहमति जरूरी
सभी राजनीतिक दलों की सहमति की भी आवश्यकता होगी. मेघवाल ने कहा कि देश के संघीय ढांचे को देखते हुए यह जरूरी है कि सभी राज्य सरकारों की सहमति प्राप्त की जाए. इस कदम की लागत हजारों करोड़ रुपये हो सकती है क्योंकि अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों और वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (ईवीएम/वीवीपीएटी) की आवश्यकता होगी.
ईवीएम, मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों की अतिरिक्‍त तैनाती होगी
मेघवाल ने कहा, ‘यह मानते हुए कि (ईवीएम) मशीन का जीवन केवल 15 वर्ष है, इसका मतलब यह होगा कि मशीन का उपयोग उसके जीवन काल में लगभग तीन या चार बार किया जाएगा, जिससे हर 15 साल में इसके प्रतिस्थापन में भारी खर्च आएगा.’ मंत्री ने अतिरिक्त मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों की आवश्यकता भी सूचीबद्ध की.

सरकारी खजाने को होगी बचत, उम्‍मीदवारों को मिलेगा लाभ
एक साथ चुनाव होने से सरकारी खजाने में बड़ी बचत होगी. मंत्री का कहना है कि बार-बार चुनावों के साथ प्रशासनिक और कानून व्यवस्था मशीनरी की नकल करने से बचने से राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को उनके चुनाव अभियानों में होने वाली लागत से भी बचाया जा सकेगा.

आदर्श चुनाव आचार संहिता लंबे समय तक रहती है लागू
उपचुनावों सहित अन्‍य राष्ट्रीय और राज्य चुनावों के कारण, आदर्श आचार संहिता लंबे समय तक लागू रहती है, जो विकासात्मक और कल्याण कार्यक्रमों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. मंत्री ने दक्षिण अफ्रीका का उदाहरण दिया, जहां राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव पांच साल के लिए एक साथ होते हैं और नगरपालिका चुनाव दो साल बाद होते हैं.
स्‍वीडन में हर 4 साल में सितंबर के दूसरे रविवार के पर चुनाव

स्वीडन में, राष्ट्रीय विधायिका (रिक्सडैग) और प्रांतीय विधायिका/काउंटी परिषद (लैंडस्टिग) और स्थानीय निकायों/नगरपालिका विधानसभाओं (कोमुनफुलमकटीज) के चुनाव चार साल के लिए एक निश्चित तिथि – सितंबर के दूसरे रविवार – पर होते हैं. यूके में, संसद का कार्यकाल निश्चित अवधि संसद अधिनियम, 2011 द्वारा शासित होता है.