Home देश जो तुरंत सूंघ लेती हैं खतरा… कनाडा-भारत विवाद में क्यों आया नाम?

जो तुरंत सूंघ लेती हैं खतरा… कनाडा-भारत विवाद में क्यों आया नाम?

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भारत और कनाडा के बीच तल्खी और बढ़ गई है. भारत ने कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सर्विसेज पर रोक लगा दी है. विदेश मंत्रालय ने खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर से जुड़े कनाडा के आरोपों को निराधार बताया है. उधर, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक बार फिर अपने आरोपों को दोहराया. ट्रूडो बार-बार कह रहे हैं कि कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों ने महीनों इंटेलिजेंस जुटाने के बाद निष्कर्ष पर पहुंची हैं. कुछ इंटेलिजेंस तो ‘फाइव आइज अलायंस’ (Five Eyes Alliance) की ओर से भी मिली हैं.

क्या है फाइव आइज अलायंस? (What is Five Eyes Alliance) ‘फाइव आइज अलायंस’ 5 देशों के बीच एक गठबंधन है. इस गठबंधन का मकसद आपस में एक दूसरे से खुफिया जानकारियां साझा करना हैं. कई जगह ये मिलकर भी काम करते हैं. गठबंधन में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा शामिल हैं. 5 Eyes को दुनिया की सबसे ताकतवर इंटेलिजेंस एजेंसीज का नेटवर्क कहा जाता है.

कनाडा सरकार की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक ‘5 आइज अलायंस’ की पार्टनर कंट्रीज एक दूसरे से मल्टीलेटरल अरेंजमेंट के तहत खुफिया जानकारी साझा करती हैं. आतंकवाद और नेशनल सिक्योरिटी टॉप प्रियॉरिटी हैं.

कब और कैसे बना Five Eyes Alliance? ‘फाइव आइज अलायंस’ की शुरुआत एक तरीके से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई. इस युद्ध में जापान, जर्मनी और इटली जैसे देश एक तरफ थे. तो अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और सोवियत रूस एक तरफ, जिन्हें एलाइड फोर्सेज (Allied Forces) के नाम से जाना जाता है. एलाइड फोर्सेज जब जर्मन और जापानी जासूसों से तंग आ गईं तो इसका तोड़ निकालने का फैसला किया. ब्रिटेन और अमेरिका साथ बैठे. तय किया कि दोनों की खुफिया एजेंसियां एक-दूसरे की मदद करेंगी. आपस में सूचनाएं साझा करेंगी.

द्वितीय विश्व युद्ध की कहानी: अमेरिका और ब्रिटेन की इंटेलिजेंस एजेंसीज, जापानी और जर्मन जासूसों का नेटवर्क तोड़ने और कोड को पढ़ने में कामयाब रहीं. साल 1943 में अमेरिका के वॉर डिपार्टमेंट (US War Department) और ब्रिटेन की खुफिया सुरक्षा एजेंसी के Government Code and Cypher School (GC&CS) के बीच एक समझौता हुआ. जिसे नाम दिया गया BRUSA (Britain-USA Agreement).

साल 1945 में जब द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ तो अमेरिका और ब्रिटेन ने तय किया कि एक दूसरे की बेहतरी के लिए इंटेलिजेंस शेयरिंग का एग्रीमेंट आगे भी जारी रहना चाहिए. 1946 में इस एग्रीमेंट को नया नाम मिला UKUSA (UK-USA Agreement). साल 1949 में कनाडा भी इसका हिस्सा बन गया. 1956 में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया भी इसमें शामिल हो गए.

सबसे मजेदार बात यह है कि दुनिया की सबसे ताकतवर इंटेलिजेंस एजेंसियों के इस संगठन के बारे में 1980 के दशक तक किसी को कुछ खास जानकारी नहीं थी और आधिकारिक तौर पर इसको कोई मान्यता भी नहीं थी. साल 2010 में UKUSA Agreement की फाइलें पहली बार आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक हुईं.

कैसे काम करती हैं ये ‘5 आंखें’ Five Eyes Alliance के पार्टनर एक दूसरे के कॉमन इंट्रेस्ट को ध्यान में रखते हुए काम करते हैं. एक दूसरे के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी जुटाते हैं. हर साल कॉन्फ्रेंस में जुटते हैं. व्यक्तिगत तौर पर मिलकर भी जानकारियां साझा करते हैं. हाल के सालों में आतंकवाद और खासकर चीन के बढ़ते दबदबे की वजह से ये अलायंस और भी करीब आया है. साल 2016 में Five Eyes Intelligence Oversight and Review Council बना, जिसका सचिवालय अमेरिका में है.

Five Eyes Alliance में अमेरिका सबसे ज्यादा इंटेलिजेंस शेयर करता है. ब्रिटेन दूसरा ऐसा देश है जो सर्वाधिक इंटेलिजेंस शेयर करता है.कनाडाऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की भूमिका बहुत सीमित है. कई मसलों पर तो 5 आइज के बीच मतभेज जैसी स्थिति भी रही है. मसलन 2021 में जब ‘फाइव आइज अलायंस’ ने चीन में उइघर मुसलमान पर हिंसा की आलोचना की तो न्यूजीलैंड ने इससे दूरी बना ली थी.

कितना तगड़ा है जासूसों का ये नेटवर्क? ‘फाइव आइज अलायंस’ का नेटवर्क कितना मजबूत है इसका एक उदाहरण 2 साल पहले, साल 2021 में देखने को मिला था. न्यूजीलैंड की टीम पाकिस्तान गई थी. रावलपिंडी में दोनों देशों के बीच वनडे मैच होना था. सब कुछ ठीक चल रहा था. अचानक न्यूजीलैंड टीम ने मैदान पर आने से इनकार कर दिया. टीम के खिलाड़ी होटल से बाहर तक नहीं निकले. थोड़ी देर बाद खबर आई कि न्यूजीलैंड ने टूर्नामेंट छोड़ने का ऐलान कर दिया है. किसी को कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर न्यूजीलैंड की टीम ने आनन-फानन में ऐसा फैसला क्यों लिया?

बाद में जब पूरी कहानी सामने आई तो इसमें भी ‘फाइव आइज अलायंस’ का नाम सामने आया. कहा गया कि इस अलायंस ने ही न्यूजीलैंड को इनपुट दिया था कि मैच में आतंकी हमला हो सकता है और न्यूजीलैंड के खिलाड़ी खतरे में हैं. इसी वजह से किवी टीम ने फौरन पाकिस्तान छोड़ दिया था.

कनाडा-भारत विवाद में क्या भूमिका? कनाडा के आरोपों के बाद 5 आइज अलायंस के तीन देशों- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने इसपर बयान दिया है. अमेरिका और ब्रिटेन ने कहा है कि वह कनाडा की जांच पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं और भारत से सहयोग की अपेक्षा रखते हैं. उधर, ऑस्ट्रेलिया ने भी कहा है कि वह पूरे मामले की मॉनीटरिंग कर रहा है और भारतीय अधिकारियों के संपर्क में है.

अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया तीन ऐसे देश हैं… जिनका भारत से गहरा संबंध है. इन तीनों मुल्कों में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक भले ही इन देशों का कनाडा से ऐतिहासिक रिश्ता है और अलायंस में हैं, लेकिन खुलकर कनाडा का पक्ष लेना मुश्किल है. क्योंकि इन देशों के भारत के साथ भी बेहद अच्छे संबंध हैं और हाल के सालों में भारत ने जितनी तेजी से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपनी जगह बनाई है, उसके खिलाफ खड़ा होना मुश्किल है.