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अर्थव्‍यवस्‍था के मोर्चे पर अच्‍छी खबर! विश्‍व बैंक ने भारत पर जताया भरोसा, ऐसी रिपोर्ट दी कि पढ़कर झूम उठेंगे आप

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भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए विश्‍व बैंक से अच्‍छी खबर आई है. विश्‍व बैंक ने कहा है कि एक तरफ जहां दुनियाभर की जीडीपी दबाव से जूझ रही है, वहीं भारत की जीडीपी का जबरदस्‍त प्रदर्शन रहा है. विश्‍व बैंक ने वित्‍तवर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) के अनुमान को 6.3 फीसदी पर बरकरार रखा है. वैसे यह अनुमान रिजर्व बैंक की ओर से जताए अनुमान से 20 आधार अंक कम है, लेकिन ग्‍लोबल इकनॉमी पर जारी दबाव के बीच यह सबसे ज्‍यादा विकास दर होगी.

विश्‍व बैंक ने 3 अक्‍टूबर को भारत के विकास की अपडेट रिपोर्ट में बताया कि 2022-23 में जहां विकास दर 7.2 फीसदी रही थी, वहीं अब यह गिरकर करीब 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है. ऐसा वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था पर दबाव और मांग व खपत में गिरावट की वजह से आई है. भारत में विश्‍व बैंक के निदेशक अगस्‍त कॉमे ने कहा, वैश्विक वातावरण काफी चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है. हालांकि, इसका लंबा असर नहीं होगा लेकिन फिलहाल सभी अर्थव्‍यवस्‍थाओं को इससे निपटना पड़ेगा.

खर्च घटा रहे लोग
कॉमे ने कहा कि एक तरफ जहां दुनियाभर के देशों में महंगाई के चलते लोग अपना खर्च घटा रहे हैं, वहीं भारत में निजी निवेश और लोगों के खर्च करने की क्षमता बढ़ी है. इससे भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए ज्‍यादा अवसर खुले हैं और इसका फायदा भी मिल रहा है. यही वजह है कि ग्‍लोबल इकनॉमी पर दबाव के बीच भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की विकास दर सबसे ज्‍यादा रहने का अनुमान है.

आगे बढ़ेगी देश की रफ्तार
विश्‍व बैंक का मानना है कि अभी भले ही भारत की विकास दर सुस्‍त पड़ गई हो, लेकिन आगे दो साल इसकी ग्रोथ बढ़ने के पूरे चांस हैं. अगले वित्‍तवर्ष में विकास दर 6.4 फीसदी और उसके आगे 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है. विश्‍व बैंक की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब भारत की विकास दर चालू वित्‍तवर्ष की पहली तिमाही में 7.8 फीसदी रही है. अर्थशास्त्रियों ने यह दर 7.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था.

विश्‍व बैंक ने यह भी कहा है कि 2024-25 और 2025-26 में विकास दर इसलिए बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है, क्‍योंकि आने वाले समय में निजी खपत भी बढ़ेगी. अगले वित्‍तवर्ष में इसके 6 फीसदी तो उसके आगे 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है, जो अभी फिलहाल 5.9 फीसदी पर अटकी हुई है. सरकार की खपत भी इन दो वर्षों में बढ़ती दिख रही है. अभी सरकार की खपत 4.1 फीसदी होती है तो अगले साल इसके 5.1 फीसदी और उसके अगले साल 5.8 फीसदी पहुंचने का अनुमान है.