हमास द्वारा इज़राइल पर 5000 रॉकेट दागने के बाद गाज़ा पट्टी पर युद्ध शुरू हो चुका है. इज़राइल ने वादा किया है कि इस बार वह गाज़ा पट्टी को पूरी तरह अपने कब्जे में लेकर ही दम लेगा. उधर हमास नामक संगठन भी दावा कर रहा है कि उसकी तैयारी पुख्ता है और वह इज़राइल के दबाव में झुकने वाला नहीं है. इसी बीच पिछले काफी समय से एक रेंज में चल रहे सोना (Gold) और चांदी (Silver) ने भी करवट लेना शुरू कर दिया है. समझा जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में सोना अपने सामान्य चाल के मुकाबले तेजी से बढ़ सकता है.
जब-जब दुनिया में देशों के बीच टकराव या युद्ध की स्थिति बनती है तो सोने के भाव बढ़ जाते हैं. केवल सोना ही नहीं, चांदी भी सोना हो जाती है. इससे पहले आपने रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई के शुरू होते समय भी देखा होगा कि सोना महंगा होने लगा था. आज बुधवार (11 अक्टूबर) को दोपहर 2 बजकर 36 मिनट पर MCX पर सोने का भाव 57,883 पर था तो सिल्वर 69,663 पर ट्रेड हो रही थी. यह भाव वायदा (Future) कारोबार के हैं. पिछले 4 दिनों में सोने की कीमत में लगभग 1500 रुपये का उछाल आया है. इसी तरह चांदी का भाव भी पिछले 4 दिनों में 3900 रुपये तक बढ़ गया है.
आखिर बुरे समय में क्यों बढ़ता है सोना?
अब सवाल ये पैदा होता है कि आखिर सोना और चांदी में आमतौर पर सुस्ती नजर आती है, मगर किसी भी विकट स्थिति में इन दोनों के भाव तेजी से क्यों बढ़ने लगते हैं. दो देशों के बीच लड़ाई हो या फिर कोरोना जैसी वैश्विक महामारी. सोने को हमेशा बढ़ते हुए देखा गया.
दरअसल, विकट स्थितियों और कीमती धातुओं (सोना और चांदी) के बीच विपरीत संबंध है. जब चारों तरफ शांति होती है तो बड़े निवेशक शेयर बाजारों (इक्विटी) का रुख करते हैं और ज्यादा पैसा इसी बाजार में लगाते हैं. इक्विटी में पैसा लगाने का फायदा ये होता है कि उन्हें किसी भी दूसरे एसेट के मुकाबले बेहतर रिटर्न मिलते हैं. बड़े निवेशक, जिनमें बाजार को मूव कराने की कुव्वत होती है, अपना पैसा गंवाते नहीं हैं. उनका निवेश हमेशा ऐसी जगह पर होता है, जहां से उन्हें मुनाफा हो.