सूर्य का अध्ययन करने के लिए भेजे गए इसरो (ISRO) के महत्वाकांक्षी मिशन आदित्य एल1 (Aditya L1) ने आज एक बड़ी छलांग लगाई और अब सौर हवाओं (Solar Winds) का अवलोकन करना शुरू कर दिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसके बारे में जानकारी को शेयर करते हुए कहा कि उपग्रह पर मौजूद आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) पेलोड ने अपना काम करना शुरू कर दिया है और सामान्य रूप से काम कर रहा है. आदित्य एल1 के ASPEX में दो उपकरण- सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर (SWIS) और सुप्राथर्मल एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (STEPS) शामिल हैं.
इसरो ने कहा कि जबकि STEPS ने 10 सितंबर को काम करना शुरू कर दिया था, SWIS उपकरण शनिवार को सक्रिय हो गया और इसने उम्मीद के अनुरुप ही अपना प्रदर्शन किया है. अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने एक्स पर एक फोटो भी शेयर किया, जो नए पेलोड के जरिए कैप्चर किए गए प्रोटॉन और अल्फा कणों की संख्या में ऊर्जा के अंतर को पेश करता है. इसरो ने अपने सौर मिशन आदित्य एल1 को 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से रवाना किया था. इस मिशन के प्रमुख उद्देश्यों में सौर कोरोना की भौतिकी, इसके ताप तंत्र, सोलर विंड की रफ्तार, सौर वायुमंडल के संगठन, गतिशीलता, सौर वायु वितरण, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), फ्लेयर्स, पृथ्वी के नजदीक अंतरिक्ष मौसम की उत्पत्ति और तापमान का अध्ययन शामिल है.
भारत की अन्य चल रही अंतरिक्ष परियोजनाओं में एक मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम शामिल है. जिसका लक्ष्य संभवतः 2025 तक पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों को धरती की कक्षा में लॉन्च करना है. इससे पहले 25 नवंबर को इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा था कि आदित्य एल1 अपने अंतिम चरण के करीब है और एल1 बिंदु में प्रवेश करने की प्रक्रिया सात जनवरी, 2024 तक पूरी होने की उम्मीद है. इसरो प्रमुख ने पहले ध्वनि रॉकेट प्रक्षेपण के 60वें वर्ष के उपलक्ष्य में विक्रम साराबाई अंतरिक्ष केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम के मौके पर कहा था कि ‘आदित्य रास्ते में है. मुझे लगता है कि यह अपने अंतिम चरण में लगभग पहुंच गया है.’