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समाज में शिक्षा, सुमता, एकता, बंधुत्व, समरसता एवं सामाजिक परिवर्तन के प्रणेता हैं- गुरु मोहरसाय देव जी

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समाज में सुमता, एकता, बंधुत्व, शिक्षा समरसता एवं सामाजिक परिवर्तन के प्रणेता, सूर्यवंशी समाज के अनंत आकाश के प्रकाशवान नक्षत्र, पंच महापुरुषों के आधारस्तंभ परमपूज्य गुरुदेव मोहरसाय देव जी” की 172 वीं जयंती पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं…

परमपूज्य मोहरसाय देव जी महान समाज सुधारक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं सामाजिक जागरण के प्रेरणास्रोत रहे। इनका जन्म बिलासपुर जिला के ग्राम महमद में 1852 इस्वी में एक संपन्न परिवार में हुआ था। इनके पिताजी का नाम श्री तुंगन दास और माताजी का नाम श्रीमती बुंदेलिया बाई था। शिक्षा प्राथमिक स्तर तक हुई थी।

समाज के वरिष्ठजन एवं प्रबुद्धजनों से प्राप्त जानकारी एवं साक्षात्कार के अनुसार परमपूज्य गुरुदेव मोहरसाय देव जी द्वारा समाज उत्थान के लिए किए गये कार्यों में से कुछ मुख्य कार्य निम्नानुसार है:-

01.- सन् 1932 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर जी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा तत्कालीन सी. पी. और बरार प्रांत (मध्य प्रांत) का संयुक्त प्रांतीय अध्यक्ष बनाया गया। परमपूज्य गुरुदेव मोहरसाय देव जी ने बैरिस्टर साहेब से भेंट करके सूर्यवंशी समाज के साथ हो रहे अन्याय और समाज के ज्वलंत मुद्दों से अवगत कराया।

02. – समाज के लोगो के मन में स्वयं के प्रति सम्मान पैदा करने के लिए नारा दिया।

“जीना है तो सम्मान से जियो”।।

03. – सन् 1924 में शनिचरी पड़ाव बिलासपुर के महा सम्मेलन में परम पूज्य गुरुदेव श्री सहस राम देव और अन्य सहयोगी साथियों के साथ योगदान देकर समाज को जागृत किया।

04. – 1933 में महात्मा गांधी द्वितीय छत्तीसगढ़ आगमन पर सामाजिक उद्धार कार्यक्रम में बैरिस्टर साहब के साथ भेंट किया।