भारत में आयकरदाता को अपने अपना टैक्स जमा करने के लिए दो विकल्प मिलते हैं. वह पुरानी कर व्यवस्था को चुनकर आईटीआर फाइल कर सकता है. इसमें टैक्स एग्जम्पशन और डिडक्शन का लाभ उसे मिलता है. वहीं, नई कर व्यवस्था चुनने वाले आयकरदाता को ज्यादातर टैक्स छूट और डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता. न्यू इनकम टैक्स रिजीम अपनाने वालों की 7 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी को टैक्स फ्री करके उसे आकर्षक बनाने की कोशिश की है. इसके अलावा कुछ ऐसे डिडक्शन हैं, जो नौकरीपेशा कर्मचारियों को नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में भी मिल सकते हैं.
नई कर व्यवस्था चुनने वाले आयकरदाता दो डिडक्शन का लाभ जरूर उठा सकते हैं. एक है स्टैंडर्ड डिडक्शन और दूसरा है एनपीएस में नियोक्ता द्वारा दिए गए अंशदान पर डिडक्शन. इन दोनों ही डिडक्शन का लाभ उठाकर वेतनभोगी व्यक्ति अपनी कर देयता को काफी कम कर सकता है. अगर उसकी कुल सालाना आय आठ लाख रुपये है तो उसे एक पैसा भी आयकर के रूप में नहीं देना होगा.
स्टैंडर्ड डिडक्शन
स्टैंडर्ड डिडक्शन वो कटौती है जिसे आयकरदाता की आय से काटकर अलग कर दिया जाता है और इसके बाद बची हुई आमदनी पर टैक्स की गणना की जाती है. नौकरीपेशा व्यक्ति को 50,000 रुपये तक की कटौती स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में मिलती है, वहीं फैमिली पेंशनर्स को 15,000 रुपये की कर कटौती स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में दी जाती है. मान लीजिए कि किसी नौकरी करने वाले व्यक्ति की सालाना आय 8 लाख रुपये है. ऐसे में कुल पैकेज में 50,000 रुपये तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिला तो उसके टैक्स की गणना 8 लाख की बजाय 7,50000 रुपये पर होगी. इस छूट को पाने के लिए कोई भी कागज नहीं देना होता है.
नई टैक्स व्यवस्था अपनाने वाले आयकरदाता भी अब स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं. इनकम टैक्स रिटर्न या ITR भरते समय स्टैंडर्ड डिडक्शन को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 16(ia) के तहत वेतन/पेंशन से होने वाली आय (Income from salaries/pension) के हेड में क्लेम किया जाता है. फैमिली पेंशन को आईटीआर में “अन्य स्रोतों से आय” (Income from other sources) के हेड में रखा जाता है.
NPS में जमा राशि पर डिडक्शन
न्यू टैक्स रिजीम के तहत नौकरीपेशा कर्मचारियों को नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में जमा की गई रकम पर भी स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलता है. इसे पाने को कुछ शर्तों का पूरा होना जरूरी है. पहली शर्त है कि एनपीएस में यह रकम नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारी के टियर-1 (Tier-I) NPS अकाउंट में जमा की जानी चाहिए. दूसरे, यह राशि प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के वेतन के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.