बिहार की राजनीति के अंदरखाने से बड़ी खबर यह है कि जेडीयू के मंत्री और विधायकों को पटना में ही रहने का निर्देश दिया गया है. ऐसा क्यों है इसको लेकर कई तरह की खबरें सामने आ रही हैं. बताया जा रहा है कि एक बार फिर बिहार की राजनीति में उथल पुथल हो सकता है और गठबंधन का नया स्वरूप सामने आ सकता है. आरजेडी और जेडीयू की सीट शेयरिंग को लेकर अलग-अलग राय कहीं ना कहीं ये इशारा भी दे रहा है कि बिहार की राजनीति में सब कुछ सहज नहीं है और कुछ बड़ा खेल होने वाला है.
बिहार की राजनीति में कभी भी कोई बड़ा बदलाव हो सकता है इस बात के संकेत आने शुरू हो गए हैं. कई मसलों पर राजद और जदयू की राय अलग है. 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर ये दोनों ही दल अपना अलग अलग कार्यक्रम करने जा रहे हैं. दरअसल, पहले जदयू ने कर्पूरी जयंती की सभा कैंसल की थी, मगर राजद ने 23 जनवरी को भव्य जयंती समारोह की घोषणा के बाद जदयू ने उसके अगले दिन ही वेटनरी ग्राउंड में जयंती का ऐलान किया है. पूरे पटना में माइकिंग के जरिए आमंत्रित किया जा रहा है. जाहिर है अब राजद-जदयू आमने सामने है.
जदयू की मांग पर लालू यादव के अलग सुर के क्या संकेत?
अलग-अलग रैलियों के आयोजन के साथ ही सीट शेयरिंग को लेकर लालू यादव का बयान भी काफी दिलचस्प है. नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने जहां 17 सीटों पर लड़ने की घोषणा की है, और इंडिया अलायंस में जल्द से जल्द सीट शेयरिंग की मांग उठा रही है, वहीं लालू यादव साफ और स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि सीट शेयरिंग की जल्दी क्या है, यह अपने समय पर होगा. जाहिर है जदयू की जल्दी और राजद की देरी, ये दोनों ही संकेत बिहार की राजनीति की काफी कहानी कह देती है.
राहुल का फोन, तेजस्वी का एक्शन और नीतीश की चुप्पी
हाल के दिनों में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की दूरी लगातार दिख रही है. प्रकाश पर्व में नीतीश तेजस्वी की दूरी, शिक्षक नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में श्रेय लेने की होड़ हो या फिर हाल में ही बिजनेस समिट में इन दोनों नेताओं के बीच की दूरी साफ दिखी है. हालांकि, राहुल गांधी के फोन के बाद तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री आवास जाकर यह दूरी पाटने की कवायद की थी, लेकिन नीतीश कुमार की लगातार चुप्पी काफी कुछ इशारा कर रही है कि बिहार में क्या कुछ होने वाला है.