अमेरिका में इन दिनों एक बेहद जानलेवा इंफेक्शन का कहर तेजी से बढ़ रहा है. इस फंगल इंफेक्शन को कोरोना से भी ज्यादा घातक माना जा रहा है. एक्सपर्ट्स की मानें तो कैंडिडा ऑरिस नामक यह संक्रमण लोगों के लिए बेहद घातक साबित हो रहा है. इसकी चपेट में आने वाले करीब 60 फीसदी लोगों की मौत हो रही है. चिंता की बात तो यह है कि इस इंफेक्शन पर दवाओं का कोई असर नहीं हो रहा है और अमेरिका में इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं. इससे दुनियाभर में चिंता का माहौल बन गया है, क्योंकि अगर यह इंफेक्शन अन्य देशों में तेजी से फैला, तो महामारी का रूप ले सकता है. लोग अभी तक कोरोना महामारी के प्रकोप से उबर भी नहीं सके हैं और इसी बीच घातक फंगल इंफेक्शन के मामले सामने आने से सभी की चिंता बढ़ गई है.
कैंडिडा ऑरिस एक रेयर फंगल इंफेक्शन है, लेकिन साल 2016 के बाद लगातार इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं. इस साल अमेरिका के कई राज्यों में यह संक्रमण सामने आया है. इसी महीने वाशिंगटन राज्य में 4 लोग इस जानलेवा इंफेक्शन की चपेट में आ गए. यह इंफेक्शन होने पर एंटीफंगल दवाएं काम नहीं करती हैं और इसका खतरा कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को ज्यादा है. चिंता की बात है कि यह अक्सर अस्पताल के उन मरीजों में पाया जाता है जो कैथेटर, ब्रीदिंग ट्यूब या फीडिंग ट्यूब का उपयोग करते हैं. इसका खतरा अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ज्यादा है.
कैंडिडा ऑरिस की पहचान पहली बार 2009 में जापान में हुई थी. इसके बाद यह अमेरिका पहुंच गया और साल 2026 से इस संक्रमण के कई मामले सामने आए. कैंडिडा ऑरिस के मामले 2020 से 2021 तक तेजी से बढ़े और संक्रमण के मामलों में 94% बढ़ोतरी हुई. साल 2022 में इसके 2300 से ज्यादा मामले सामने आए थे. हर साल इस संक्रमण के हजारों मामले सामने आने लगे हैं. हैरानी की बात यह है कि कैंडिडा ऑरिस इंफेक्शन के केस अब तक 40 देशों में सामने आ चुके हैं. यह इंफेक्शन खुले घाव और फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है. यह ब्लड स्ट्रीम में घुस सकता है और मौत की वजह बन सकता है.