प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब देश की कमान संभाली थी उससे पहले केंद्र सरकार पर लगातार आरोप लगाए जाते थे कि वहां पॉलिसी पैरालिसिस की स्थिति है. इस कारण तात्कालिक सरकार कोई भी निर्णायक और कठोर कदम नहीं उठा पा रही है. इसका दुष्परिणाम देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर प्रतिकूल तौर पर पड़ रहा था. यही कारण है कि यूपीए के 10 साल में महंगाई औसतन 8% से ऊपर थी. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा पेश किए गए श्वेत पत्र के मुताबिक 2004-2014 के बीच देश में सालाना औसत महंगाई दर 8.2% रही. 2004 में यह 3.9% थी, जो 2010 में 12.3% के उच्चतम स्तर तक पहुंची और 2014 में 9.4% पर थी. एनडीए सरकार के सुधारों के प्रभाव और अनुकूल परिस्थितियों के कारण 2004-2008 के बीच इकोनॉमी तेजी से बढ़ी. 2004 में जब यूपीए ने कार्यकाल शुरू किया, तब देश की विकास दर 8% थी.
जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने कार्यभार संभाला तब सरकारी कंपनियों का जीएनपीए (फंसा हुआ कर्ज) का अनुपात 16% था, जब उन्होंने पद छोड़ा तब तक यह 7.8% पर आ गया था, पर सितंबर 2013 में यूपीए की नीतियों के कारण यह फिर 12.3% तक चढ़ गया था. मार्च 2004 में सरकारी बैंकों का डूबा हुआ कर्ज 6.6 लाख करोड़ रुपये था, जो मार्च 2012 में 39 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. यूपीए में बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) सालाना 21.1% दर से बढ़ी. इसीलिए, साल 2013 में जब अमेरिकी डॉलर तेजी से बढ़ा तो हमारी अर्थव्यवस्था कमजोर स्थिति में थी.
2011 से 2013 के बीच रुपया 36% तक गिरा. जबकि, 2014 से 2023 के बीच एनडीए के कार्यकाल में यह 4.5% की दर से बढ़ा. यूपीए सरकार में विदेशी मुद्रा भंडार जुलाई 2011 के 294 अरब डॉलर से घटकर अगस्त 2013 में करीब 256 अरब डॉलर पर सिमट गया था. राजस्व घाटा वित्त वर्ष 2008 में जीडीपी के 1.07% से 4 गुना से ज्यादा बढ़कर वित्त वर्ष 2009 में 4.6% पर पहुंच गया.
मोदी सरकार में विकास की नई बयार
दूसरी ओर अगर 2014 के बाद की स्थिति देखें तो यह साफ है कि अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास हो रहा है. कोरोना की वैश्विक महामारी यूक्रेन संकट और सप्लाई चेन के विभिन्न कारणों से प्रभावित होने के बावजूद भारत एक मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर उभर रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी यह भी कह चुके हैं कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी. देश में आधारभूत संरचना के विकास के साथ-साथ पीएसयू संस्थान में भी विकास दिख रहा है. संसद भवन में पीएम नरेंद्र मोदी ने इसी क्रम में एचएएल और एलआईसी का उदाहरण दिया.
इसके साथ ही साथ भारत की सामरिक स्थिति भी बेहतर हो रही है और अब भारत रक्षा उत्पादों का सिर्फ आयातक नहीं बल्कि निर्यातक और उत्पादक भी बन गया है. राजनीतिक तौर पर भी भारत का दबदबा दुनिया में बढ़ रहा है. इसे भी समझा जा सकता है कि आज दुनिया के सभी बड़े नेता पीएम नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत मित्र भी हैं. सांस्कृतिक स्तर पर भी भारत दुनिया में एक बड़े केंद्र के तौर पर उभर रहा है और पीएम नरेंद्र मोदी के प्रयासों से ही योग को वैश्विक पहचान मिली है.