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891 कंपनियां बेचकर बैंक वसूलेंगे कर्ज, फिर भी डूब जाएंगे 8 लाख करोड़ रुपये, क्‍यों सहना पड़ रहा इतना बड़ा नुकसान

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बैंकों से कर्ज लेना तो कंपनियों और कॉरपोरेट के लिए जरूरी भी होता और पुराना तरीका है भी बिजनेस चलाने का. इसके साथ ही यह भी एक कड़वा सच है कि कंपनियों के डूबने या भाग जाने से बैंकों का तमाम पैसा डूब भी जाता है. ऐसा ही मामला एक बार फिर सामने आ रहा है. भारतीय दिवालिया बोर्ड (IBBI) ने एक हालिया रिपोर्ट में बताया है कि साल 2023 के दिसंबर तक बैंकों ने 891 कंपनियों को बेचकर अपने कर्ज वसूलने का प्‍लान तैयार किया है. इतनी बड़ी कार्रवाई के बाद भी बैंकों को करीब 8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान सहना पड़ सकता है.

IBBI की रिपोर्ट के मुताबिक, 31 दिसंबर तक कुल 891 कंपनियों का समाधान प्‍लान तैयार कर लिया गया है. इन कंपनियों की संपत्तियां बेचकर बैंक अपने कर्ज की वसूली करेंगे. चालू वित्‍तवर्ष में दिसंबर तक यानी महज 9 महीने में ही 891 कंपनियों को दिवालिया प्रक्रिया के तहत बेचने की तैयारी कर ली गई है, जो इससे पहले के पूरे वित्‍तवर्ष यानी 2022-23 में अप्रूव हुई 682 कंपनियों के मुकाबले कहीं ज्‍यादा है.

इसका मतलब है कि वित्‍तवर्ष समाप्‍त होने के 3 महीने पहले ही 209 ज्‍यादा कंपनियों को बेचने का प्‍लान तैयार हो गया है. यह अब तक किसी भी वित्‍तवर्ष में समाधान के लिए चुनी गई कंपनियों की सबसे ज्‍यादा संख्‍या है. IBBI के चेयरमैन ने पिछले दिनों कहा था कि वित्‍तवर्ष की समाप्ति तक यह संख्‍या 300 से भी ऊपर जा सकती है.

तय समय से दोगुना टाइम
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिवालिया एवं ऋणशोधन प्रक्रिया के तहत कंपनियों को बेचकर पैसे वसूलने में काफी टाइम लग जाता है. आईबीसी (IBC) कानून में इसके लिए 330 दिन का समय निर्धारित किया गया है, जबकि समाधान पूरा करने में औसतन 671 दिन का समय लग जाता है. इसका सबसे बड़ा कारण कंपनियों के लिए खरीदार मिलने में देरी होना है.

बैंकों को कितना पैसा मिलेगा
IBBI की मानें तो कर्जदाताओं को उम्‍मीद थी कि 31 दिसंबर तक समाधान प्रक्रिया के तहत 3.21 लाख करोड़ रुपये का जुगाड़ हो जाएगा. हालांकि, जब समाधान प्रक्रिया शुरू हुई तो उससे पहले कंपनियों की फेयर वैल्‍यू 2.97 लाख करोड़ रुपये लगाई गई. लेकिन, यहां भी दिक्‍कत खरीदारों के मिलने की रही और आखिर में बिक्री के बाद जो वास्‍तविक वसूली का आंकड़ा सामने आया वह महज 1.9 लाख करोड़ रुपये रहा है. सबसे बड़ी बात ये है कि कर्जदाता बैंकों ने 10.07 लाख करोड़ रुपये वसूलने के लिए क्‍लेम किया था. इस तरह, कर्जदाताओं को 8.10 लाख करोड़ रुपये का सीधा नुकसान होने की आशंका दिख रही है.