गगनयान मिशन के जरिए भारत जल्द स्पेस टेक्नोलॉजी मे दुनिया के अव्वल देशो मे शामिल होने जा रहा है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) केरल के तिरुवनंतपुरम मे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) का दौरा करने वाले है. इस दौरे मे पीएम मोदी इसरो की बहुप्रतीक्षित स्पेस मिशन गगनयान की तैयारियों को लेकर समीक्षा करेंगे. इसके अलावा पीएम मोदी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की तीन नई सुविधाओं को भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे. इसमें मुख्य बात यह है है कि पीएम मोदी गगनयान कार्यक्रम के अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा भी करेंगे. गगनयान मिशन को 2025 में लॉन्च करने की उम्मीद है. इसका उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजकर और उन्हें सुरक्षित रूप से वापस लाकर भारत की मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करना है.
गगनयान मिशन
भारत का मानवयुक्त अंतरिक्ष यान मिशन गगनयान भारत का एक महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य 2025 में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से वापस लाना है. यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संचालित किया जाएगा. इस मिशन में भारत की अपनी विशेषज्ञता, उद्योगों का अनुभव, शिक्षा संस्थानों का ज्ञान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का इस्तेमाल किया जाएगा.
भारत के लिए क्यों खास है गगनयान मिशन
अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर स्पेस में जाने वाला गगनयान मिशन कई मायने में भारत के लिए खास है. बता दें कि इसे पहले साल 2022 में लॉन्च करना था लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसमें देरी हो गई. 2025 में अगर मिशन सफल रहा तो भारत अमेरिका, चीन और पूर्ववर्ती सोवियतसंघ के बाद चौथा मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानें संचालित करने वाला देश बन जाएगा.
पीएम मोदी के नेतृत्व मे भारत स्पेस टेक्नोलॉजी मे बन रहा है विश्व गुरु
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार बड़ी प्रगति की है. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को लेकर आज भारत दुनिया में अग्रणी देशो में शामिल हो गया है. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने भारत का मान, सम्मान और प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ाया है. आज वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी लगभग 2% है. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की वजह से भारत वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में इस 2% हिस्सेदारी को लगभग 10% तक बढ़ाने की राह पर हैं