मेट्रो को अंडरग्राउंड देखा होगा या फिर सफर किया होगा. लेकिन कभी नदी के नीचे मेट्रो को चलते हुए नहीं देखा होगा. वो भी छोटी-मोटी नदी नहीं है. कोलकाता में हुगली नदी के नीचे बुधवार से संचालन शुरू हो रहा है. प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन करेंगे. इसकी गहराई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जमीन से 11 मंजिली इमारत की ऊंचाई बराबर नीचे मेट्रो दौड़ेगी.
यह सुरंग हुगली नदी के पूर्वी तट पर एस्प्लेनेड और पश्चिमी तट पर हावड़ा मैदान को जोड़ेगी. देश में पहली बार नदी के नीचे मेट्रो चलेगी. सुरंग सतह से लगभग 33 मीटर यानी करीब 11 मंजिली इमारत के बराबर नीचे है. हावड़ा से एस्प्लेनेड तक का कुल मार्ग 4.8 किलोमीटर लंबा है. आधा किलोमीटर लंबी इस पानी के अंदर की सुरंग से यात्री 1 मिनट से भी कम समय में गुजरेंगे. यह सुरंग 120 साल का आंकलन करके बनाई गई है.
देश में पानी के अंदर टनल बनानी थी, इसलिए ऐसी मशीन की जरूरत थी, जो ऊपर से पड़ने वाले पानी के प्रेशर सहन कर ले और निर्माण के दौरान पानी आने से भी रोके. पूर्व में देश के कई शहरों में बनी टनल में पानी आने का खतरा नहीं था, इसलिए सामान्य मशीन से सुरंग बन जाती थी.
जर्मनी से तैयार कराई टीबीएम
टीबीएम यानी टनल बोरिंग मशीन में जर्मनी को महारथ हासिल है. इसे जर्मनी से अपनी जरूरत के अनुसार मशीन डिजाइन कराई गई थी. इसकी खासियत यह थी कि मिट्टी काटने के साथ-साथ निर्मित हिस्से को सील करती जाती थी. जिससे अगर कटिंग के दौरान पानी आता तब भी तैयार हो चुके टनल के हिस्से में नहीं जाता. उन्होंने बताया कि टनल में बाद में भी कभी पानी न आए, इसके लिए पहली बार ज्वाइंट में हाइड्रोफिलिक गास्केट का इस्तेमाल किया गया, जो पानी के संपर्क में आते ही 10 गुना अधिक फैल जाएगा, यानी पानी के संपर्क में आते ही पहले से ज्यादा वाटर प्रूफ हो जाएगा. हुगली के नीचे बनी सुरंग की लंबाई 520 मीटर और ऊंचाई 6 मीटर है.