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फ्लैट लेने के लिए बिल्‍डर को दिए थे पैसे, न घर दिया और न वापस किए रुपये, अब क्‍या करें खरीदार

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प्रॉपर्टी कंसल्टेंट फर्म ने एनारॉक (Anarock) ने पिछले साल अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि देश के सात प्रमुख शहरों में करीब साढ़े 4 लाख करोड़ रुपए के लगभग 5 लाख घर अटके हुए हैं. यानी पैसा भरने के बाद भी खरीदारों को समय पर घर मिलना मुश्किल है. यह मामला कई सात बड़े शहरों का नहीं है. बिल्‍डरों और रियल एस्‍टेट कंपनियों द्वारा बनाई जाने वाली रिहायशी परियोजनाओं में एडवांस में पैसा देने के बावजूद बहुत से लोगों को मकान नहीं मिला है. कई मामलों में तो बिल्‍डर एडवांस में दिया पैसा वापस देने में भी आनाकानी करते हैं. बिल्‍डर उन्‍हें घर या पैसे देने की बजाय केवल आश्‍वासन ही देता है.

अगर किसी के साथ भी ऐसा होता है तो उसे बिल्‍डर के आश्‍वासनों के सहारे रहने या फिर हाथ पर हाथ रखकर बैठने की जरूरत नहीं है. घर खरीदार को अपने राज्‍य की रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) से संपर्क करना चाहिए. साल 2016 में रियल एस्टेट में मौजूदा विसंगतियों को खत्म करने के लिए रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 बनाया गया. इसके तहत ही रेरा के गठन का प्रावधान है. यह अधिनियम घर खरीदार का फंसा पैसा वापस दिलाने में बहुत काम आता है.

ऐसे पाएं पैसा वापस

अटके पड़े प्रोजेक्ट में घर खरीदने वाला अपने राज्य के रेरा में शिकायत दर्ज करा सकता है. कानूनी तौर पर रेरा को किसी शिकायत का निपटारा 60 दिन के भीतर करना होता है. अगर शिकायत पर RERA की ओर से कोई आदेश दिया जाता है, तो बिल्डर को उसे 45 दिन के भीतर लागू करना होता है. घर खरीदार अटके हुए प्रोजेक्ट में और निवेश नहीं करना चाहता और उसके बदले में रिफंड चाहता है. तो वह रेरा क नियमों के तहत ऐसा कर सकता है.