देशभर में होली का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है. रंगों के इस महापर्व में लोग जमकर मस्ती करते हैं और अपने परिवार या दोस्तों के साथ भरपूर मज़ा करते हैं. जितना मजा शुरुआत में रंगों से होली खेलने में आता है, उतनी ही परेशानी बाद में शरीर के विभिन्न जगहों से उन रंगों को हटाने में होती है. कई बार छोटी-मोटी लापरवाही इस खुशियों के त्यौहार में रंग में भंग डालने का काम कर देती है. खासकर की आंख, नाक और कानों में रंग चले जाने से कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
गाजियाबाद के सीनियर ईएनटी सर्जन डॉक्टर बृजपाल त्यागी ने बताया कि होली में जो गुब्बारे और पिचकारी लोगों के ऊपर फेंके जाते हैं अगर वो कानों में तेज रफ्तार से चले जाए तो कानों के पर्दों को भी डैमेज कर सकता है. क्योंकि कानों का पर्दा 0.1 एमएम का होता है. अगर उस पर्दे में थोड़ा सा भी भेद के पानी अंदर चला गया तो वह डस्टी वॉटर कानों में पहुंचकर इन्फेक्शन कर सकता है. कानों में भी 2-3 तरीको का इन्फेक्शन होता है. एक बैक्टीरियल, वायरल और फंगल होता है. फिर इंफेक्शन होने के बाद हड्डी में सूजन आना यह सब दिक्कतें बढ़ने लगती है और इसको हम AOSM (Acute Suppurative Otitis Media) बोलते हैं.
केमिकल युक्त पानी कानों में फैला सकता है इन्फेक्शन
डॉक्टर बृजपाल त्यागी ने बताया कि यह समस्या फिर ऑपरेशन के द्वारा ही ठीक की जाती है. ऑपरेशन के बिना ये ठीक नहीं होती है. इसीलिए आंख, कान में पिचकारी के प्रेशर से पानी जाना आंख,कान को डैमेज कर सकता है.अगर डैमेज हुआ तो हमारे कान से सुनाई देना भी कम होगा, बधिरता होगी. आंखों में डैमेज हुआ तो विजन कम होगा. इसलिए जो भी होली खेलते हैं, वो फूलों की होली खेलें हेल्दी कलर के साथ होली खेलें.
होली खेलने से पहले आंख और कान की ऐसे करें सुरक्षा
अगर होली खेलने जा रहे हैं तो अपने आंखों को चश्मे से कवर कर लें. कानों में बर्ड्स लगा लें और पूरे शरीर में कोई भी तेल लगा सकते हैं. जिससे कि त्वचा पर गंभीर असर न पड़े. अगर कानों में प्लग लगी होगी तो पानी की तेजधार हमारे कानों में नहीं जा पाएगी और बालों को बचाने के लिए हेयर बैग भी आप लगा सकते हैं.