हाईकोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ लगाई गई याचिका पर उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हिरासत के दौरान ईडी ने कुछ तथ्य एकत्र किए होंगे, जो वो सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने रखना चाहते होंगे. यह तथ्य इस याचिका के लिए भी जरूरी होंगे. ईडी को सुने बिना हम इसपर फैसला नहीं ले सकते. मामले की अगली सुनवाई 3 अप्रैल को होगी. सुबह हाईकोर्ट ने सीएम केजरीवाल और ईडी की तरफ से दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
ईडी की तरफ से पेश हुए एएसजे राजू ने सीएम को राहत दिए जाने का विरोध किया. उन्होंने सीएम की तरफ से पेश हुई वकीलों की फौज पर भी आपत्ति दर्ज की थी. ईडी का कहना है कि गोवा इलेक्शन को फंड करने के लिए सीएम केजरीवाल ने साउथ ग्रुप को शराब नीति की मदद से फायदा पहुंचाया. बदले में गोवा चुनाव में उन्हें भरपूर फंड मिला. सीएम केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि आप किसी दिन कह दें कि हम तुम्हें गिरफ़्तार करना चाहते हैं, क्योंकि हमारे पास गिरफ़्तारी का अधिकार है. लिहाजा, गिरफ़्तारी की चाहत को पूरा करने के लिए हम गिरफ्तार कर रहे हैं.
सीएम की तरफ से क्या-कुछ कहा गया?
सिंघवी ने कहा, ‘प्रॉसिक्यूशन का केस शुरू हुआ अगस्त 2022 में और केजरीवाल को पहला समन अक्टूबर 2023 में अआया. ‘सहयोग नहीं करना’ इसका जांच एजेंसी हाल के दिनों में बहुत दुरुपयोग कर रही है. चूंकि तुम अपने ख़िलाफ लगे आरोपों को स्वीकार नहीं कर जांच में सहयोग नहीं कर रहे हो, इसलिए तुम्हें गिरफ्तार कर रहे हैं. क्या ये सही होगा?’ अगर ये मेरी भूमिका की की जांचकरना चाहते हैं तो भी चुनाव के दो महीने पहले गिरफ्तारी की क्या ज़रूरत है. यहां तक कि अभी इन्हें मेरी भूमिका को लेकर स्पष्टता नहीं है, संदेह है. ऐसा क्या है जो गिरफ्तारी के बिना नहीं हो सकता?