अगर आप नौकरीपेशा लड़की हैं तो अभी कुछ ही हफ्ते पहले आपने एंप्लॉयर को निवेश के सबूत सभी जरूरी दस्तावेजों के तौर पर दिए होंगे. अब अप्रैल का महीना साल का ऐसा वक्त है जब आपको इन्वेस्टमेंट डिक्लेयरेशन सब्मिट करना होता है, अमूमन सभी कंपनियां इसी महीने में इस बाबत अपने कर्मियों को सूचित करती हैं कि वे इस वित्तीय वर्ष (मौजूदा) के लिए इन्वेस्टमेंट से जुड़े डिक्लेयेरशन कर दें. दरअसल इनकम टैक्स संबंधी यह एक बेहद जरूरी प्रक्रिया है और यदि आप यह नहीं करती हैं तो दिक्कत में आ सकती हैं. इसे विस्तार से ऐसे समझते हैं-
आमतौर पर आपकी कंपनी आपको इस फॉर्म की प्रति मुहैया करवा देती है अन्यथा आप इसे आयकर विभाग के ऑनलाइन पोर्टल से डाउनलोड कर लें. आप अपने पूरे साल के संभावति निवेशों और कुछ लिस्टेड खर्चों से जुडे़ डिक्लेयरेशन अपनी कंपनी में करती हैं ताकि आपको मौजूदा वित्त वर्ष में इनकम टैक्स से योग्य राहत मिल सके. यह डिक्ल्येरेशन दरअसल फॉर्म 12बीबी के तहत होता है. आपकी कंपनी इस फॉर्म या नियम के तहत ही आपसे ये जानकारी मांगती है.
कर योग्य इनकम ब्रैकेट के कर्मचारी आयकर अधिनियम 1961 की धारा 192 के तहत कटौती के उद्देश्य से नियोक्ताओं को फॉर्म 12बीबी जमा करते हैं. जून 2016 से फॉर्म 12बीबी वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए कर कटौती और छूट का दावा करने के लिए अपने नियोक्ता को फॉर्म 12बीबी जमा करना अनिवार्य हो गया पहले ऐसा कोई फॉर्मेट अस्तित्व में नहीं था. इस फॉर्म में आपके सैलरी पैकेज के कुछ खास कंपोनेंट मेंशन होते हैं. जैसे कि विभिन्न प्रकार के भत्ते, जैसे हाउस रेंट अलाउंस, फूड कूपन, मैगजीन आदि खऱीदने के लिए मिलने वाला भत्ता, ब्रॉडबैंड आदि के क्लेम, एलटीए, ट्रैवल अलाउंसेस आदि.
क्या होगा अगर नहीं दी यह जानकारी…
क्या होगा यदि फॉर्म 12बीबी जमा नहीं किया गया तो? सवाल वाजिब है. आपके एंप्लॉयर द्वारा बताए गए विंडो पीरियड के दौरान यदि आपने इन्वेस्टमेंट, एचआरए और संबंधित खर्चों से जुड़ी यह जरूरी घोषणा नहीं कीं तो आपको इनकम टैक्स की विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाली छूट नहीं मिलेंगी. हालांकि आप अपना आईटीआर दाखिल करते समय इनमें से कुछ कटौतियों और छूट का दावा कर सकती हैं. लेकिन यह अगले साल की बात होगी, फिलहाल तो आपको, आपके स्लैब के मुताबिक, हो सकता है टैक्स कटवाना या फिर अधिक कटवाना पड़े.
फॉर्म 12बीबी में चार मुख्य भाग होते हैं- मकान किराया भत्ता (एचआरए), अवकाश यात्रा रियायतें (लीव ट्रैवल कंसेशन) या असिस्टेंस, उधार पर ब्याज की कटौती और आयकर अधिनियम की धारा 80सी, 80सीसीसी और 80सीसीडी के तहत आने वाली बाकी की कटौती शामिल होती हैं. किराये के भुगतान और यात्रा भत्ते के अलावा, कर्मचारी जीवन बीमा प्रीमियम, सार्वजनिक भविष्य निधि, इक्विटी-लिंक्ड बचत योजना फंड, बच्चों के लिए स्कूल ट्यूशन फीस जैसे कई वर्गों पर आप कटौती ले सकती हैं, लेकिन इसके लिए आपको करना बस यही है कि समय से इन्वेस्टमेंट डिक्ल्येरेशन कर दें. आप राष्ट्रीय पेंशन योजना और स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर भी क्लेम कर सकती हैं. 80सी के तहत यह सीमा डेढ़ लाख रुपये है.
इसके तहत कोई भी दावा करने से पहले सोच समझकर विचार करें और यह बात हमेशा याद रखें कि जो भी आप दावा कर रही हैं, उसका प्रूफ आपको साल के अंत में नियोक्ता के मांगने पर सब्मिट करना होगा. यह भी न भूलें कि सभी दस्तावेज सही और वास्तविक होने चाहिए, इन सबूतों में किसी भी तरह की गड़बड़ आपकी जिम्मेदारी होगी जिसे आपको ही झेलना होगा.