विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि केंद्र ने भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था (FMR) को समाप्त करने का फैसला किया है, क्योंकि हमारी सरकार देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है.
जयशंकर ने पूर्वोत्तर राज्य मिज़ोरम की राजधानी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का घोषणापत्र जारी करते हुए पत्रकारों से बात करते हुए कही. उन्होंने कहा कि फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार के हजारों नागरिकों ने वहां से भागकर पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों, विशेषकर मिजोरम में शरण ली है.
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जयशंकर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमारे देश की सुरक्षा एवं मिजोरम सहित हमारे राज्यों की सुरक्षा के लिए हमें कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है. यद्यपि अभी हम जो सावधानियां बरत रहे हैं, वह (म्यांमार में) एक निश्चित स्थिति की वजह से हैं. अभी भी हमारा पड़ोसी देश बहुत कठिन दौर से गुजर रहा है. अगर म्यांमा में चीजें सामान्य होतीं तो ऐसा नहीं होता.’
विदेश मंत्री ने कहा कि केंद्र लोगों के हितों, परंपराओं, रीति-रिवाजों और सीमा पार रिश्तों के प्रति बहुत संवेदनशील है. उन्होंने सीमा पर प्रस्तावित बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने के बारे में कहा, ‘फिलहाल यह महत्वपूर्ण है कि हम सावधानी बरतें. इसलिए हम चाहते हैं कि लोग समझें कि ऐसा मौजूदा स्थिति के कारण है.’
केंद्र ने फरवरी में भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और दोनों देशों के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफआरएम) को खत्म करने का फैसला किया था. एफएमआर भारत-म्यांमार सीमा के करीब रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी तक जाने की अनुमति देता है.
भारत इस पड़ोसी देश के साथ 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है और विशेष रूप से मिजोरम की 510 किलोमीटर लंबी सीमा म्यांमा से जुड़ी है. मिजोरम सरकार, वहां के नागरिक समाज संगठनों और छात्र निकायों ने भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर हटाने के केंद्र के फैसले का कड़ा विरोध किया है, क्योंकि उनका मानना है कि यह ‘दोनों देशों के जातीय समुदायों के बीच घनिष्ठ संपर्क को बाधित करेगा.’
मीजो समुदाय, चीन के साथ जातीय संबंध साझा करता है. मिजोरम विधानसभा ने भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने के केंद्र के फैसले के विरोध में 28 फरवरी को एक प्रस्ताव पारित किया था.
इससे पहले, मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा था कि उनकी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने के विचार का कड़ा विरोध किया है, लेकिन यदि केंद्र सरकार अपनी योजना पर आगे बढ़ती है तो राज्य सरकार को उसका विरोध करने का अधिकार नहीं है.