भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर कई वैश्विक संस्थाएं अपने ग्रोथ अनुमान को बढ़ा चुकी हैं और इसके पीछे देश के अच्छे जीडीपी आंकड़े बड़ी वजह हैं. अब एक और वैश्विक आर्थिक संस्थान ने इसी तरह के संकेत दिए हैं. एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की जीडीपी विकास दर का अनुमान बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है. इससे पहले एडीबी ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था जो कि दिसंबर में तय किया गया था. इसके बाद वित्त वर्ष 2025-26 के लिए एडीबी ने भारत की विकास दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है.
एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने क्या मुख्य बात कही
एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि भारत में सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के निवेश के साथ-साथ उपभोक्ता मांग में सुधार होगा जिसके साथ महंगाई दर कम होने की उम्मीद भी है. एडीबी को यह उम्मीद है कि आगे चलकर भारत की मुद्रास्फीति दर में कमी आएगी क्योंकि देश में मौजूदा महंगाई दर घटकर लगभग 5 फीसदी पर आ गई है. इसमें और गिरावट आने की उम्मीद है जिसके दम पर आगे चलकर भारत का स्थिर आर्थिक विकास का मार्ग खुलेगा.
मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विसेज को लेकर एडीबी का आकलन
एडीबी ने अपनी रिपोर्ट में कई मुख्य बातें कही हैं. इसने कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विसेज में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से बढ़ी है और यह आगे भी तेजी से बढ़ती रहेगी. मुख्य रूप से मजबूत निवेश और उपभोक्ता मांग में सुधार के आधार पर विकास दर में तेजी का और मुद्रास्फीति में गिरावट का रुझान जारी रहेगा.
IMF-वर्ल्ड बैंक के ग्रोथ प्रोजेक्शन के मुताबिक ही एडीबी की रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यम अवधि में एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए भारत को ग्लोबल वैल्यू चेन में एकीकरण की जरूरत है. गौरतलब है कि एडीबी के विकास पूर्वानुमान में बढ़ोतरी आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक के ग्रोथ प्रोजेक्शन के मुताबिक ही इनलाइन हैं. एडीबी की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 29 मार्च को खत्म हुए हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 645.58 बिलियन डॉलर की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया और यह 11 महीने तक के इंपोर्ट के लिए काफी है. ये एक सहारा देने वाला आंकड़ा है जिसके दम पर भारत में आर्थिक गतिविधियों के मजबूत होने का सबूत मिलता है. ध्यान रहे कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी अपनी वित्त वर्ष 2024-25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद इस विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े का जिक्र किया था और खुशी जताई थी.