सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि आधुनिक प्रक्रियाओं, जिसमें अदालती कार्यवाही भी शामिल है, उनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शामिल करने से जटिल नैतिक, कानूनी और व्यावहारिक चुनौतियां सामने आ रही हैं. इस पर गहन विचार करने की जरूरत है. सीजेआई ने कहा कि एआई नवाचार की अगली सीमा का प्रतिनिधित्व करता है और अदालती फैसलों में इसके उपयोग से ऐसे अवसर और चुनौतियां दोनों पैदा होती हैं जिन पर बारीकी से विचार करने की जरूरत है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जहां एआई अभूतपूर्व अवसर प्रदान करता है, वहीं यह जटिल चुनौतियां भी खड़ी करता है, खासकर नैतिकता, जवाबदेही और पूर्वाग्रह के संबंध में.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए दुनिया भर के हितधारकों से एक ठोस प्रयास की जरूरत है, जो भौगोलिक और संस्थागत सीमाओं से परे है. सीजेआई चंद्रचूड़ भारत और सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट के बीच प्रौद्योगिकी और संवाद पर दो दिवसीय सम्मेलन में बोल रहे थे. सम्मेलन के दौरान सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुंदरेश मेनन और कई अन्य न्यायाधीश और विशेषज्ञ भी मौजूद थे. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानूनी क्षेत्र में एआई में कानूनी पेशेवरों के काम करने के तरीके को बदलने की अपार क्षमता है. जिसमें कानूनी शोध और मामले के विश्लेषण को बढ़ाने से लेकर अदालती कार्यवाही की दक्षता में सुधार करना तक शामिल है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कानूनी शोध के क्षेत्र में एआई एक गेम-चेंजर के रूप में उभरा है, जो कानूनी पेशेवरों को अद्वितीय दक्षता और सटीकता प्रदान करता है. सीजेआई ने कहा कि चैटजीपीटी के लॉन्च के साथ इस बारे में एक चर्चा शुरू हो गई है कि क्या किसी मामले के निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए एआई पर भरोसा किया जाए. उन्होंने कहा कि ‘ये उदाहरण दिखाते हैं कि हम अदालती फैसलों में एआई के इस्तेमाल के सवाल से बच नहीं सकते. आधुनिक प्रक्रियाओं, जिसमें अदालती कार्यवाही भी शामिल है, उसमें एआई को शामिल करने से जटिल नैतिक, कानूनी और व्यावहारिक चुनौतियां सामने आती हैं, जिन पर गहन विचार की जरूरत है.’ सीजेआई ने चंद्रचूड़ ने कहा कि एआई की क्षमताओं को लेकर उत्साह के बीच संभावित गलतियों और गलत व्याख्याओं को लेकर भी चिंताएं हैं.