बैंकों से लोन लेने का तरीका 1 अक्टूबर के बाद काफी बदल जाएगा. रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी बैंकों और एनबीएफसी को जारी नोटिफिकेशन में कहा है कि ग्राहक को दिए गए लोन पर अब ज्यादा क्लीयरटी होनी चाहिए. इसके लिए बैंक की ओर से की फैक्ट स्टेटमेंट (KFS) जारी किए जाएंगे. यह लोन की कुल लागत को बहुत ही आसान शब्दों में ग्राहक को बताएगा. नए नियम के बाद लोन लेने वाले ग्राहक को उसकी वास्तविक लागत का पता चल सकेगा. अभी बैंक की ओर से प्रोसेसिंग फीस और ब्याज दर के अलावा अन्य कोई जानकारी ग्राहक को नहीं दी जाती है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अप्रैल की एमपीसी बैठक के बाद कहा था कि बैंकों को अब लोन लेने वाले ग्राहकों को एनुअलाइज्ड पर्सेंटेज रेट (APR) यानी लोन की कुल लागत का खुलासा करना होगा. इससे ग्राहक को पता चलेगा कि उसने जो लोन बैंक या एनबीएफसी से लिया है, उसकी वास्तविक लागत क्या है. इसका मकसद बैंकिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और ग्राहकों तक सही जानकारी पहुंचाना है.
क्या है KFS
बैंकों की ओर से जारी KFS में लोन से जुड़ी सभी जानकारियां शामिल होंगी, जिससे ग्राहक को यह समझने में आसानी होगी कि उसके लिए लोन कितना महंगा पड़ रहा है. बैंक की ओर से लिए जा रहे सभी शुल्क और चार्जेज को इसमें बताना जरूरी होगा. KFS में दी गई जानकारी से इतर बैंक कोई भी हिडन चार्जेज नहीं वसूल सकेंगे. इसमें ब्याज, प्रोसेसिंग फीस सहित बैंक की ओर से ली जा रही सभी तरह की फीस और चार्ज का उल्लेख किया जाएगा.
क्या है APR
रिजर्व बैंक ने अपने नोटिफिकेशन में कहा है कि सभी बैंक लोन लेने वाले ग्राहक को एनुअलाइज्ड पर्सेंटेज रेट (APR) के बारे में बताएंगे. APR से मतलब है कि लोन पर सालभर में कितनी लागत आनी है. इसमें इंश्योरेंस चार्ज, लीगल चार्ज सहित बैंक की ओर से लिए जा रहे तमाम अन्य फीस का भी ब्योरा शामिल होता है. APR में लोन की पूरी गणना के साथ इसे चुकाने की अवधि का भी उल्लेख रहेगा.