बिलासपुर – दिनांक 19.05.2024 को बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, बिलासपुर, कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, लोरमी-मुंगेली, कृषि विज्ञान केंद्र, बिलासपुर एवं सीजी शिक्षा एवं प्रशिक्षण संगठन, छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में कृषि महाविद्यालय सभागार में “रिबाउंड एंड राइस – असफलता से सफलता की ओर” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री अवनीश कुमार शरण,आई.ए.एस.,जिला कलेक्टर, बिलासपुर ने इस अवसर पर छात्र -छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में नंबर की दौड़ और माता-पिता, समाज और शिक्षकों का बच्चों पर क्लास में टॉप करने का कठोर व्यवहार छात्रों को अवसाद का शिकार बना रहा है। ऐसे में बच्चे हताश हो जाते हैं, और सही-गलत के फेर में उलझ जाते हैं। उन्हें आगे का रास्ता नजर नहीं आता। हर किसी को यही लगता है कि दसवीं और बारहवीं के अंकों के आधार पर ही उनका भविष्य तय होगा, जबकि यह सही नहीं है। हमारे बीच में ऐसे ही कई उदाहरण है जो कम नंबर लाने के बाद भी समाज के अच्छे पदों पर हैं और जिंदगी में सफल हुए हैं। इसी का एक उदाहरण मैं स्वयं हूं। परीक्षा में खराब मार्क्स लाकर कुछ गलत स्टेप उठाने से पहले एक बार मेरा दसवीं का रिजल्ट देख ले। आई.ए.एस. श्री अवनीश कुमार शरण ने विद्यार्थियों को मोटिवेट करने की कोशिश की जो परीक्षा में खराब परिणाम आने पर हताशा में जानलेवा कदम उठा लेते हैं। किसी कक्षा में मेरिट पाने या बेहतर परसेंटेज स्कोर करने मात्र से जिंदगी में सफलता नहीं मिलती है। सफलता का अंकों या मार्कशीट से लेना- देना नहीं होता। खराब परिणाम आने पर हताश होने की जरूरत नहीं, आप मेहनत करके आगे सफलता हासिल कर सकते हैं।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर आलोक चक्रवाल, माननीय कुलपति, गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बचपन से ही संघर्ष की शुरुआत हो गई थी। मध्यवर्गीय परिवार से होने के कारण यह संघर्ष और भी ज्यादा हो गया था। मेरा संघर्ष और उसके बाद मिली सफलता के पीछे मां पिताजी और गुरु को पूरा श्रेय जाता है। यह श्रेय में उनको भी देना चाहता हूं जिन्होंने मुझे सिखाया है कि सफलता प्राप्त करनी है तो हाड़तोड़ मेहनत करनी पड़ेगी। उनकी सीख और संघर्ष के चलते ही चमकदार करियर की ओर आगे बढ़ा और सफलता मिली। आपने आगे कहा कि संघर्ष के बिना कुछ नहीं मिलता। इसका शॉर्टकट भी नहीं होता। इसके लिए सतत संघर्ष करना पड़ता है।
प्रोफेसर ए.डी.एन, बाजपेई, माननीय कुलपति, अटल बिहारी बाजपेई विश्वविद्यालय, बिलासपुर ने अपने उद्बोधन में कहा कि संकल्प से सफलता तय है। इसके लिए दृढ़ संकल्प ले। आज के समय में शिक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है। असफलता का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी करने में असमर्थ है या आप इसके लायक नहीं है। असफलता को स्वीकार करने, सफलता की राह पर प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए बहुत साहस की आवश्यकता होती है। असफलता को मन में रखने से आप आगे नहीं बढ़ पाएंगे। असफलता हमेशा आपके अगले अवसर को सफल होने के लिए प्रेरित करती है। असफलता एक स्वाभाविक एवं आवश्यक प्रक्रिया है। हालांकि हममें सफल होने की तीव्र इच्छा है, फिर भी हम सभी गलतियां करने के प्रति संवेदनशील है। असफलताएं व्यक्तिगत विकास और शिक्षा के लिए मूल्यवान सबक प्रदान करती है।
प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे, माननीय कुलपति, डॉ. सी.वी.रमन विश्वविद्यालय, कोटा, बिलासपुर ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि किसी को भी पहली बार में सफलता नहीं मिलती, सफलता के लिए आपको पसीना बहाना पड़ता है, समय देना पड़ता है प्रयास करना पड़ता है और सबसे महत्वपूर्ण बात धैर्य रखना पड़ता है। हां, कभी-कभी अगर कोई आपसे पहले किसी खास चीज में सफल हो जाता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपने कम मेहनत की है या आपने अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दिया है। सकारात्मक रूप से सोचे। धैर्य रखें, आप इसके पात्र हैं, वह आपको अवश्य मिलेगा l
कार्यक्रम के शुभारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इसके पश्चात मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों ने पद्मश्री श्री रामलाल बरेठ का शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया। कथक गुरु श्री रामलाल बरेठ ने इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए अपने उद्बोधन में कहां कि संबंध तो कई है परंतु गुरु शिष्य का संबंध अपने आप में एक अद्वितीय एवं पूजनीय है। एक अच्छा गुरु न केवल एक शिष्य, बल्कि एक अच्छा शिष्य एक गुरु को पाकर स्वयं को कृतज्ञ समझता है। अनूठा है यह संबंध। सीखता शिष्य है और परीक्षा गुरु की होती है, शिष्य से हारने से भी जीत गुरु की होती है। बंधन ऐसा है जिसमें बंधकर शिष्य सदा के लिए मुक्त हो जाता है, मिट- मिट कर बन जाता है और गुरु दे- देकर भर जाता है, बांट- बांटकर पूरा हो जाता है। अद्भुत है यह रिश्ता। असफलता जीवन का सबसे बड़ा शिक्षक है, यदि हम अतीत के प्रसिद्ध विचारकों का बारीकी से अध्ययन करें, तो हमें एहसास होगा कि असफलता के लिए तैयार रहना नया या असामान्य विचार नहीं है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी बार अपने लक्ष्य को हासिल करने में असफल होते हैं, आपको हर बार मजबूत होकर वापस आना होगा। जोखिम उठाएं गलतियां करें और बड़ा सोचे। जब आप सफलता की राह पर हो तो असफलता से ना डरे।
असफलता से सफलता की ओर विषय पर आयोजित कार्यशाला में कृषि महाविद्यालय बिलासपुर की छात्रा कु. पुष्पांजलि राजपूत द्वारा अभिनीत एग्जाम प्रेशर हैंडल विषय पर आर्यन फिल्म द्वारा बनाई गई लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया l
कार्यक्रम के अंत में कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आर.के.एस. तिवारी ने कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु सभी सम्माननीय अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया ।
आज के सफल आयोजन में डॉ. एन. के. चौरे, टी.डी. पांडे, अजीत विलियम्स, गीत शर्मा, एस.के. वर्मा, अजय टेगर, दिनेश पांडे, पी.के. केसरी, अर्चना केरकट्टा एवं कर्मचारियों का सराहनीय सहयोग रहा l इस अवसर पर कृषि महाविद्यालय बिलासपुर एवं लोरमी-मुंगेली के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।