Home देश गर्म होने लगा कच्चा तेल, मिडल-ईस्ट का संकट जला देगा हमारे हाथ!...

गर्म होने लगा कच्चा तेल, मिडल-ईस्ट का संकट जला देगा हमारे हाथ! विशेषज्ञ बोले- उबाल आने में लगेगा टाइम

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भारत में जुलाई में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) दर घटकर 4 फीसदी से नीचे आ गई है. यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के टार्गेट से कम है. लेकिन ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है. दुनियाभर में तनाव बढ़ रहा है और इसका असर भारतीय बाजारों पर भी जल्द ही दिख सकता है. मिडिल-ईस्ट में तनाव बढ़ने से पिछले 5 दिनों में तेल की कीमतों में आग लगी हुई है. मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर ब्रेंट क्रूड का भाव 90 डॉलर प्रति बैरल के पार गया तो भारत का महंगाई से राहत का जश्न जल्द ही खत्म हो सकता है.

एसएस वेल्थस्ट्रीट की फाउंडर सुगंधा सचदेवा ने कहा कि बढ़ते जियोपॉलिटिकल टेंशन के चलते ब्रेंट क्रूड शुरूआती तौर पर 83-88 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है. अगर ये टेंशन ऐसे ही बढ़ता रहा तो इसकी कीमत 95 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है. दूसरी ओर अगर टेंशन कम होता है तो बिकवाली का दबाव बढ़ सकता है और ब्रेंट क्रूड को 75 डॉलर प्रति बैरल के आसपास सपोर्ट मिल सकता है. ऐसा होने पर बाजार का ध्यान फिर से सप्लाई-डिमांड पर फोकस हो जाएगा.

तेल की कीमतों में इजाफे से बढ़ सकती है महंगाई
सचदेवा ने बताया कि तेल की कीमतों में अगर 10 डॉलर का भी इजाफा होता है तो घरेलू महंगाई दर 0.4 फीसदी तक बढ़ सकती है. देश के कुल आयात में लगभग 25 फीसदी हिस्सेदारी कच्चे तेल की है. कच्चे तेल पर हमारी इतनी निर्भरता का मतलब है कि अगर तेल महंगा होगा तो कई इंडस्ट्री में लागत बढ़ेगी और अंततः महंगाई दर ऊपर जाएगी.

जुलाई में भारत की महंगाई दर 5 साल के निचले स्तर पर
भारत के कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) में अभी फ्यूल और बिजली का वेटेज 6.84 फीसदी है, जबकि खाने-पीने की चीजों का दबदबा 45.8 फीसदी हिस्सेदारी के साथ है. जुलाई में भारत की महंगाई दर 5 साल के निचले स्तर 3.54 फीसदी पर पहुंच गई, लेकिन इसके बावजूद सचदेवा ने चेतावनी दी कि कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी महंगाई की दिशा को बिगाड़ सकती है.

100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है क्रूड ऑयल की कीमतें
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में सीनियर रिसर्च एनालिस्ट (कमोडिटीज) सौमिल गांधी ने भी कहा कि शॉर्ट टर्म में क्रूड ऑयल की कीमतें 77 डॉलर से 88-92 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रह सकती हैं. अगर जियोपॉलिटिकल फ्रंट पर टेंशन ज्यादा बढ़ा तो यह 100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है.