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हिंडनबर्ग को झटका! मॉरीशस के रेगुलेटर ने कहा- कथित ‘फंड’ का उनके देश से कोई लेना-देना नहीं

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अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट को लेकर भारत में बवाल मचा हुआ है. इस रिपोर्ट में कहा गया कि सेबी (SEBI) चीफ माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडानी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों में ‘हिस्सेदारी’ थी. हालांकि, बुच दंपती ने आरोपों से इंकार किया है. अब मॉरीशस के फाइनेंशियल सर्विस कमीशन (FSC Mauritius) ने मंगलवार को कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च के सेबी चीफ माधबी पुरी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के आरोपों में जिस फंड का जिक्र किया गया है, उसका उनके देश से कोई लेना-देना नहीं है. बता दें कि यह कमीशन मॉरीशस का है जिसका दर्जा मॉरीशस में सेबी के समान है.

फाइनेंशियल सर्विस कमीशन ने यह भी कहा कि वह शेल कंपनियों को देश में काम करने की कतई इजाजत नहीं देता. एफएससी ने कहा कि उसने 10 अगस्त, 2024 को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को संज्ञान में लिया है. इसमें मॉरीशस-आधारित शेल कंपनियों और मॉरीशस का ‘टैक्स हेवन’ के रूप में उल्लेख किया गया है.

मॉरीशस से नहीं जुड़ा है आईपीई प्लस फंड और आईपीई प्लस फंड-1 
एफएससी ने कहा, ‘‘हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘आईपीई प्लस फंड’ मॉरीशस का एक छोटा ऑफशोर फंड है और आईपीई प्लस फंड-1 मॉरीशस में रजिसर्टर्ड है. हम यह साफ करना चाहते हैं कि आईपीई प्लस फंड और आईपीई प्लस फंड-1 मॉरीशस से जुड़ा नहीं है और इसे कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है. सही मायने में इसका मॉरीशस से कोई लेना-देना नहीं है.’’

सेबी चीफ पर हिंडनबर्ग का आरोप
हिंडनबर्ग ने शनिवार को आरोप लगाया कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति ने बरमूडा स्थित फंड की मॉरीशस-रजिस्टर्ड इकाई में एक अज्ञात राशि का निवेश करने के लिए 2015 में सिंगापुर में एक वेल्थ मैनेजमेंट फर्म के साथ एक अकाउंट खोला. मॉरीशस फंड का संचालन अडानी ग्रुप का डायरेक्टर कर रहा था और इसकी मूल इकाई का उपयोग 2 अडानी एसोसिएट द्वारा फंड की हेराफेरी करने और शेयर की कीमतें बढ़ाने के लिए किया गया था.