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जिनपिंग तो बड़े तानाशाह निकले! ‘एंटी करप्शन कैंपेन’ को बनाया कुर्सी बचाने का हथियार, बगावत की सजा है ‘गुमनामी’

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चीन दुनिया के सामने लोकतांत्रिक देश है, मगर वहां तानाशाही चरम पर है. शी जिनपिंग के राज में चीन तो जैसे तानाशाही का सिकंदर बनकर ही सांस लेगा. वहां सरकार के खिलाफ बोलना, नीतियों की आलोचना करना या फिर किसी फैसले पर सवाल उठाने का मतलब है अपना सिर ओखल में डालना. चीन में आम आदमी ही नहीं, बड़े-बड़े दिग्गज भी खौफ के साए में जिंदगी जीते हैं. जिनपिंग राज में बगावत का मतलब है अपनी जिंदगी से हाथ धोना या फिर पूरी जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे सड़ना. शी जिनपिंग जब से सत्ता में आए हैं, तब से ही चीन सवाल उठाने वालों, अलग मत रखने वालों, आलोचकों और प्रभावशाली पूंजीपतियों और उद्योगपतियों पर नकेल कस रहा है. दिलचस्प तो यह है कि यह सब शी जिनपिंग अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए एंटी करप्शन कैंपेन के नाम पर कर रहे हैं.

जी हां, शी जिनपिंग का एंटी करप्शन कैंपेन सत्ता को महफूज रखने का सबसे बड़ा हथियार है. कहने को तो जिनपिंग इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का नाम देते हैं. मगर हकीकत कुछ और ही है. एंटी करप्शन कैंपेन की आड़ में जिनपिंग अब तक अपने कई विरोधियों को निपटा चुके हैं. जब-जब जिनपिंग को अपनी सत्ता पर खतरा सताता है, वह अपने रास्ते के कांटे को गुमनामी की जिंदगी में धकेल देते हैं. चाहे चीन के रक्षा मंत्री हों या कोई बड़ा सैन्य अधिकारी, जिनपिंग ने एंटी करप्शन के नाम पर कईयों के पर कतरे हैं. बता दें कि चीन में शी जिनपिंग ने 2012 में सत्ता संभाली थी. तब से ही चीन में तानाशाही सिर चढ़कर बोल रहा है. चाहे कोई व्यक्ति विशेष हो या राजनीतिक दल, जिनपिंग से पंगा लेने का मतलब है अपने ही पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारना.

अपनों से डरते हैं जिनपिंग
चीन में शी जिनपिंग के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट सरकार को अपने ही लोगों से डर लगता रहता है. कोई उनके बरक्श खड़ा न हो जाए, इसलिए वह किसी राजनीतिक दल को आगे बढ़ने ही नहीं देते हैं. अव्वल तो वह खुद अपनी ही चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में मिला लेते हैं. मौजूदा समय में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर आठ छोटे दल शामिल हैं. साल 2012 में चीन के राष्ट्रपति पद पर काबिज होने के बाद से शी जिनपिंग के एंटी करप्शन कैंपेन यानी भ्रष्टाचार विरोधी अभियान ने ऐसे व्यक्तियों या नेताओं, व्यापार जगत के लोगों या सैन्य अफसरों को अपने जाल में फंसाया है, जिनका या तो सीसीपी यानी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सियासी सुरक्षा पर सीधा खतरा था या जो संभावित रूप से शी के राजनीतिक मंसूबों को कमजोर कर सकते थे.

सीसीपी छोटे दलों को खा जा रही
रिपोर्ट की मानें तो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल आठ छोटे दल पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना से पहले के हैं. तब से अब तक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने किसी भी नए राजनीतिक दल को उभरने नहीं दिया है. दिलचस्प तो यह है कि साल 2013 में ही चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने जी जियान पार्टी के रूप में इस तरह के एक प्रयास को विफल कर दिया था. जी जियान पार्टी की स्थापना चीनी नेता बो शिलाई के फॉलोअर्स द्वारा की गई थी, जिन्होंने कथित तौर पर शी जिनपिंग के खिलाफ तख्तापलट का प्रयास किया था. जिनपिंग की तानाशाही का आलम यह है कि चीन में सेना और पुलिस कर्मियों को छोटे राजनीतिक दलों में शामिल होने की अनुमति नहीं है. यह सब जिनपिंग इसलिए करते हैं ताकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का प्रभुत्व कायम रहे और उनके दबदबे पर कोई भी खतरा न मंडराए.