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eachers’ Day….कौन था दुनिया का पहला शिक्षक….मिस्र में 3000 ईसा पूर्व हुई थी स्कूल की शुरुआत

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किसी व्यक्ति, समाज और देश में शिक्षक की क्या भूमिका है, इसके बारे में बताने की जरूरत नहीं है. जब हम अपने जीवन के पहले शिक्षक को याद करते हैं, तो वह मां होती है. लेकिन एक पेशेवर शिक्षक की बात करते हैं, तो इसमें प्राइमरी स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी तक के तमाम शिक्षक शामिल होते हैं. ऐसे ही एक शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के मौके पर हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है. वह भारत के पहले उप राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे. लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि दुनिया का पहला पेशेवर शिक्षक कौन था?

कौन था दुनिया का पहला शिक्षक?

दुनिया का पहला पेशेवर शिक्षक कन्फ्यूशियस को माना जाता है. 551 ईसा पूर्व चीन में जन्मे महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस एक प्राइवेट ट्यूटर थे. जो इतिहास पढ़ाते थे. हालांकि कुछ लोग ग्रीक दार्शनिक अरस्तू को पहला शिक्षक मानते हैं. जिनका जन्म 384 ईसा पूर्व हुआ था. निश्चित तौर पर कोई भी कन्फ्यूसियस और अरस्तू पर पूरे यकीन के साथ दावा नहीं कर सकता.

बताया जाता है कि कन्फ्यूशियन प्राचीन चीन के एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे. उन्होंने खुद से ही संगीत, इतिहास और गणित की पढ़ाई की थी. उस दौर में राजघराने बच्चों तक ही शिक्षा की पहुंच थी. लेकिन कन्फ्यूशियस चाहते थे कि शिक्षा हर किसी तक पहुंचे. इसलिए उन्होंने ट्यूटर के रूप में पढ़ाना शुरू किया.

मिस्र में हुई थी स्कूल की शुरुआत

स्कूल की शुरुआत मिस्र में 3000 ईसा पूर्व ही हो गई थी. एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, मिस्र में दो तरह के औपचारिक स्कूल विकसित किए गए थे. एक क्लर्कियल वर्क के लिए और दूसरा पुजारी बनने की ट्रेनिंग के लिए. इन स्कूलों में बच्चों को पांच साल की उम्र में दाखिल कर दिया जाता था. वे 16-17 साल तक पढ़ाई करते थे. मिस्र में इतने वक्त पहले ही औपचारिक शिक्षा की शुरुआत हो गई थी, इसलिए कन्फ्यूशियस और अरस्तू में से किसी के भी पहला शिक्षक होने पर दावा नहीं किया जा सकता.