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लाल रंग की लकीर से हमारे सब्र का इम्तिहान ले रहा चीन, मिट्टी कुरेदने का अंजाम बुरा हो सकता है

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भारत-चीन सीमा पर एक बार फिर टेंशन बढ़ गई है. भारत की सरजमीं पर चीन की फिर बुरी नजर है. यही वजह है कि ड्रैगन अरुणाचल प्रदेश में लाल रंग की लकीर से हमारे सब्र का इम्तिहान ले रहा है. मगर चीन भी कान खोलकर सुन ले कि हमारी मिट्टी कुरेदने का अंजाम बहुत बुरा हो सकता है. लगता है कि ड्रैगन गलवान वाली मार भूल गया है. भारत ने तो गलवान घाटी में ही दिखा दिया था कि हमारी जमीन पर नजर गड़ाकर रखना कितना भारी पड़ता है. दरअसल, अरुणाचल प्रदेश में कुछ अनिर्धारित क्षेत्रों पर चीन ने लार रंग की लकीर खींची है और यह बताने की कोशिश की है कि वह हिस्सा उसका है. मगर भारत ने भी साफ कह दिया है कि लाल रंग से निशान बनाने का यह मतलब नहीं है कि हमारे क्षेत्रों पर उसका कब्जा हो गया.

अरुणाचल प्रदेश में चीनी घुसपैठ की खबरें हैं. खबरें यह भी है कि अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना ने कुछ जगहों को लाल रंग से मार्क किया है. भारत सरकार को इसकी पूरी जानकारी है और चीन को इसका करारा जवाब मिलेगा. सीमा पर चीन के इन नापाक हरकतों पर केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि अस्थायी निशान बनाने से हमारे क्षेत्र पर चीन का कब्जा नहीं हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अनिर्धारित क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिक गश्त के लिए कई बार एक ही जगह पहुंच जाते हैं. अनिर्धारित क्षेत्रों में निशान बनाने का मतलब यह नहीं है कि क्षेत्रों पर अतिक्रमण किया गया है.

केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने क्या कहा?
केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, ‘कुछ सोशल मीडिया और लोकल मीडिया ने दिखाया है कि चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में निशान लगा दिए हैं. लेकिन हम सबको अपनी स्थिति पता है. भारत सरकार, हमारा रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय इस पर बातचीत कर रहे हैं. हमारा रुख बिल्कुल साफ और स्पष्ट है कि चीनी सेना को नियंत्रण रेखा के बाहर किसी भी तरह का स्थायी ढांचा बनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी.’

‘भारत की जमीं पर नहीं होने देंगे कब्जा’
हालांकि, उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन अरुणाचल प्रदेश में कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां पूरी तरह से सीमांकन नहीं हुआ है. शुरुआत से ही सीमाओं का निर्धारण नहीं किया गया है. तो ऐसे में हमारे भारतीय जवान और चीनी जवान एक-दूसरे के इलाके में चले जाते हैं और मुश्किल रास्तों और सीमांकन न होने की वजह से कई बार पेट्रोलिंग पार्टी ऐसी जगह चली जाती है जो जगह परिभाषित नहीं है और वो वहां पर निशान बनाने की कोशिश करते हैं. जमीन पर कुछ बना देते हैं. जब से हमारी सरकार आई है, चीन ऐसा नहीं कर पाया है और उसे हमारे नियंत्रण रेखा के अंदर कोई स्थायी ढांचा बनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी. हम अपनी जमीन पर किसी और देश का कब्जा नहीं होने देंगे. फिर चाहे वो चीन हो या कोई और देश.’

गलवान भूल गये क्या?
भारत और चीन के बीच साल 2020 के बाद से ही तनाव जारी है. गलवान घाटी संघर्ष के बाद से दोनों देशों के रिश्ते काफी तल्ख हो चुके हैं. हालांकि, इन तनातनी को कम करने की कोशिशें दोनों ओर से जारी हैं. 15 जून 2020 की रात को एलएएसी के गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. ड्रैगन ने चुपके से भारत की जमीं पर कब्जा करने की कोशिश की थी. मगर पहले से अलर्ट भारतीय सेना के जवानों ने चीनी सैनिकों को मार-मारकर भगाया था. गलवान घाटी संघर्ष में चीन को काफी नुकसान हुआ था और उसके दर्जनों सैनिक मारे गए थे. भारत की तुलना में चीन को बहुत ही ज्यादा नुकसान हुआ था.