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चीन का यार बनाएगा श्रीलंका में सरकार! कौन हैं दिशानायके, राष्ट्रपति चुनाव में मिली अजेय बढ़त

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नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति बनने की ओर अग्रसर हैं. रविवार को वोटिंग के बाद वोटों की काउंटिंग हो रही है. दिसानायके को 22 में से 7 जिलों की पोस्टल वोटिंग में 56 प्रतिशत वोट मिले हैं. एक तरीके से कहा जाए तो उन्होंने ने इस चुनाव में अजेय बढ़त बना लिया है. उनके विरोधी वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और साजिथ प्रेमदासा को 19-19 प्रतिशत वोट मिले हैं. आपको बताते चलें कि दिसानायके की पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) भारत विरोधी पार्टी मानी जाती है. कई मौके पर भारत का विरोध कर चुके हैं. वामपंथी पार्टी होने की वजह से चीन प्रति इनका झुकाव माना जाता है.

दिसानायके की पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) को 2022 में श्रीलंका संकट के बाद से जनता के बाद काफी लोकप्रियता मिली. अपने जोशिले भाषणों में गरीबों की मदद और वामपंथी नीतियों से लगातार जनता के बीच पॉपुलर होते रहे हैं. वहीं, श्रीलंका संकट में उनको जनता के बीच उभरने का खासा मिला. आपको बताते चलें कि दिसानायके कोलंबो जिला से सांसद हैं. वह 2019 में श्रीलंका के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ चुके हैं. वह 2024 का एनपीपी मोर्चे से लड़ रहे हैं. एनपीपी कई पार्टियों का एलायंस है, जिसके नेता दिसानायके हैं.

बंद बाजार नीति के समर्थक
आपको बता दे कि दिसानायके की पार्टी जेवीपी के संसद में तीन नेता हैं. वे नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) एलायंस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. उनकी मार्क्सवादी-झुकाव वाली जेवीपी पार्टी पारंपरिक रूप से मजबूत देश (चीन) का हस्तक्षेप और बंद बाजार आर्थिक नीतियों के समर्थक है.

भारत बनाम चीन?
दिसानायके तो कई मौकों पर भारत का विरोध कर चुके हैं. साथ ही उनकी मार्क्सवादी, लेनिनवादी झुकाव को ध्यान में रखें तो वे भविष्य में चीन के समर्थक साबित होंगे. हालांकि, एनपीपी के राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के मेंबर ने बताय, ‘हमारी पार्टी या हमारे नेता भारत के साथ जुड़ना चाहते हैं. भारत निश्चित रूप से हमारा पड़ोसी और एक महाशक्ति है. हाल ही में, हमें भारत द्वारा एक कृषि शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया था. हमने दिल्ली और केरल का दौरा किया. हमारे नेता श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए सभी प्रमुख शक्तियों से समझौता चाहते हैं.’