रूस-यूक्रेन जंग में पश्चिमी देशों की भूमिका लगातार बढ़ती ही जा रही है. युद्ध शुरू हुए ढाई साल का वक्त बीत चुका है. ऐसे में अमेरिका और ब्रिटेन ने यूक्रेन को अब रूस में घुसकर हमले की खुली छूट दे दी है. यूक्रेन को ऐसे-ऐसे हथियार मिल रहे हैं, जिसके दम पर रूस में अब काफी अंदर तक हमले संभव हैं. ताजा हालातों को देखते हुए व्लादिमीर पुतिन का माथा भी अब ठनक गया है. उन्होंने बुधवार को एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई. जिसके बाद कहा गया कि अगर यह हवाई हमले ऐसे ही जारी रहे तो रूस परमाणु हमला कर इसका करारा जवाब देगा.
हाल ही में अमेरिका और ब्रिटेन से यूक्रेन को क्रूज मिसाइलों का एक बड़ा बेड़ा मिला है, जिसके चलते लगातार रूस के शहरों को निशाना बनाया जा रहा है. पिछले सप्ताह ही यह खबर सामने आई कि ब्रिटेन ने अपने ‘स्टॉर्म शैडो’ क्रूज मिसाइल का उपयोग रूस के अंदर करने की मंजूरी यूक्रेन को दे दी थी. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हाल ही में इस मुद्दे पर अमेरिका में एक बैठक के दौरान चर्चा भी हुई थी. जिसमें यूक्रेन को और हथियार देने पर सहमति बनी.
रूस करेगा परमाणु हमले!
रूसी खुफिया एजेंसी ने सितंबर की शुरुआत में कहा था कि यूक्रेन युद्ध को वेस्टर्न देशों द्वारा बढ़ावा दिए जने के बाद अब रूस के लिए परमाणु सिद्धांत को संशोधित करना आवश्यक हो गया है. रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति पुतिन ने इस मीटिंग के दौरान अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा क्रूज मिसाइलों को लॉन्च करने की अनुमति देने पर गहरी चिंता जताई. जिसके बाद कहा कि अगर वेस्ट यूक्रेन को रूस पर बमबारी करने के लिए ऐसे हथियार चलाने की इजाजत देता है तो यह सीधे रूस के साथ युद्ध जैसा होगा. मॉस्को को ऐसी स्थिति में सही निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
क्या है रूस की न्यूक्लियर पॉलिसी?
रूस का मौजूदा परमाणु सिद्धांत कहता है कि वो केवल तभी अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा जब उसपर परमाणु हमला होगा. अमेरिका और रूस के बीच एक परमाणु संधि भी है जिसे यूएस-रूस न्यू स्टार्ट संधि कहा जाता है, जो 5 फरवरी, 2011 को लागू हुई. एक तरफ भारत रूस-यूक्रेन जंग को शांति से निपटाने की कोशिशों में लगा है. वहीं, दूसरी तरफ पश्चिमी देश लगातार यूक्रेन को उकसा रहे हैं. यही वजह है कि यह इमरजेंसी बैठक पुतिन ने बुलाई और इसमें बड़ा कदम उठाया.