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कश्मीर पर जहर उगलने वाले एर्दोगन UN में अब यूं ही नहीं चुप, तुर्की के लिए भारत क्यों बन गया है बहुत जरूरी

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कश्मीर मामले पर तुर्की संयुक्त संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN) में पाकिस्तान का साथ देता आ रहा है. वह कश्मीर मामले पर पाकिस्तान के साथ इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर तुर्की हमेशा से भारत के खिलाफ जहर उगलता रहा है. लेकिन 2019 के बाद पहली बार तुर्की ने कश्मीर पर चुप्पी साधी है. दरअसल वह BRICS समूह का सदस्य बनना चाहता है. और भारत इस समूह का पहले से ही सदस्य है. ऐसे में BRICS में एंट्री के लिए भारत का साथ उसे चाहिए.

भले ही रूस तुर्की को BRICS में एंट्री दिलाने का पक्षधर हो लेकिन उसकी एंट्री तभी हो सकती है जब भारत ऐसा चाहे. इसलिए भारत को अपने पक्ष में करने के लिए तुर्की ने UN में कश्मीर पर चुप्पी साध ली. इसके किसी को फायदा हो ना हो पाकिस्तान को नुकसान जरूर हुआ है. वह भी थोड़ा नहीं बहुत ज्यादा. जब पाकिस्तान को इसकी भनक लगी तो वह हैरानी में रह गया कि आखिर तुर्की उसके साथ ऐसा कैसे कर सकता है.

रूस दे रहा तुर्की का साथ
BRICS में शामिल होने के लिए रूस तुर्की का जरूर साथ दे रहा है, लेकिन रूस को भी मालूम है कि भारत के समर्थन के बिना यह संभव नहीं है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि एर्दोगन अगले महीने रूस में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, क्योंकि तुर्की ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह में शामिल होने का अनुरोध किया है.

तुर्की की चाहत
साल 2019 में आर्टिकल 370 को खत्म करने के बाद पहली बार तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने अपने भाषण में कश्मीर का जिक्र नहीं किया. न्यूयॉर्क में 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा, “हम ब्रिक्स के साथ अपने संबंधों को विकसित करने की अपनी इच्छा को बनाए रखते हैं, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है.”

क्या है BRICS?
ब्रिक्स पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना समूह है. गोल्डमैन सैक्स द्वारा वर्ष 2001 में दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के इन पांच उभरते देशों के प्रस्तावित इस समूह को अधिकाधिक वैश्विक शक्ति परिवर्तन के केंद्र के रूप में देखा जा रहा है. इसका मुख्यालय शंघाई (चीन) में है. ब्रिक्स देश एक ऐसे संगठन के रूप में कार्य करते हैं जो सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने तथा विश्व में उनकी आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को बढ़ाने का प्रयास करता है.