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भारतीय सेना में शामिल होने जा रहा ‘दरिंदा’, 1-1 की कीमत 900 करोड़ से ज्यादा

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भारत और अमेरिका के बीच 31 प्रीडेटर ड्रोन की डील आज पूरी होगी. यह समझौता 3.3 बिलियन डॉलर (लगभग 28,000 करोड़ रुपये) का है. इस हिसाब से देखा जाए तो एक-एक ड्रोन 900 करोड़ रुपये से अधिक का है. कैबिनेट सुरक्षा समिति ने 9 अक्टूबर को इन ड्रोन की खरीद को मंजूरी दी थी. यह डील भारतीय सेना की ताकत को और अधिक बढ़ाने वाली साबित होगी. ये अत्याधुनिक ड्रोन भारतीय सेनाओं को खासकर चीन के साथ विवादित सीमाओं पर निगरानी करने में मददगार साबित होंगे.

इन प्रीडेटर ड्रोन की डिलीवरी 4 साल में शुरू होगी और छह साल में पूरी हो जाएगी. इनमें से 15 ‘सी गार्डियन’ ड्रोन भारतीय नौसेना को मिलेंगे, जबकि वायु सेना और थल सेना को आठ-आठ ‘स्काई गार्डियन’ ड्रोन दिए जाएंगे. यह ड्रोन केवल निगरानी के लिए नहीं, बल्कि युद्धक भूमिका में भी उपयोग किए जा सकेंगे.

क्या है प्रीडेटर ड्रोन की खासियत?
प्रीडेटर ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत उनकी लंबी उड़ान क्षमता है. प्रीडेटर का हिन्दी में शाब्दिक अर्थ ‘दरिंदा’ होता है. और दुश्मन के लिए यह ड्रोन दरिंदे से कम भी नहीं है. ये ड्रोन 40,000 फीट से भी अधिक ऊंचाई पर 40 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं, जिससे ये लगातार निगरानी और हमले दोनों के लिए सही हैं. इन ड्रोन में हेलफायर (Hellfire) मिसाइलें और स्मार्ट बम लगे होते हैं, जो उन्हें युद्ध के मैदान में एक अचूक हथियार बनाते हैं. इनकी सटीकता और विनाशकारी शक्ति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अलकायदा के प्रमुख ज़ैमन अल-जवाहिरी को काबुल में इसी ड्रोन से मारा गिराया गया था.

सी गार्डियन ड्रोन विशेष रूप से समुद्री क्षेत्रों की निगरानी के लिए उपयुक्त हैं. ये न केवल समुद्री सुरक्षा में अहम भूमिका निभा सकते हैं, बल्कि पनडुब्बी युद्ध और लंबी दूरी के लक्ष्य साधने में भी कामयाब हैं. वहीं स्काई गार्डियन ड्रोन भूमि पर युद्ध के दौरान सेना के लिए अचूक हथियार साबित होंगे. ये ड्रोन चार Hellfire मिसाइलें और 450 किलोग्राम तक बम ले जाने की क्षमता रखते हैं, जिससे भारतीय सेना दल और भी मजबूत हो जाएगा.

पाकिस्तान और चीन पर रहेगी पैनी नजर
भारत की सीमाएं कई देशों से मिलती हैं, जिनमें चीन और पाकिस्तान जैसे देश शामिल हैं. चीन के साथ बढ़ती तनातनी और उसकी सीमावर्ती गतिविधियों को देखते हुए ये ड्रोन भारतीय सेना के लिए शक्तिशाली हथियार साबित होंगे. इनकी मदद से भारतीय सेना सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी में काफी सुधार कर सकती है. इनसे चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रखना आसान होगा.

इसके अलावा, प्रीडेटर ड्रोन आतंकवाद और आतंकी समूहों के खिलाफ भी कारगर साबित हो सकते हैं. ये ड्रोन आतंकियों के ठिकानों को सटीक निशाने से तबाह कर सकते हैं, जिससे भारत की आंतरिक सुरक्षा और मजबूत होगी.

अमेरिका से और मजबूत होंगे रिश्ते
इस डील से भारत केवल अपने सैन्य तंत्र को मजबूत नहीं करेगा, बल्कि यह अमेरिका के साथ उसके सामरिक संबंधों को भी और मजबूत करेगा. अमेरिका से यह रक्षा सहयोग भारत को वैश्विक सैन्य ताकत के रूप में उभरने में मदद करेगा. इसके अलावा, भारत को अत्याधुनिक तकनीक तक पहुंच मिलेगी, जो दीर्घकालिक रक्षा जरूरतों को पूरा करने में सहायक होगी.

प्रीडेटर ड्रोन भारतीय सेना को किसी भी युद्ध जैसी स्थिति के लिए तैयार करेंगे और सीमाओं की सुरक्षा में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे. इन ड्रोन के आने से भारतीय नौसेना, वायु सेना और थल सेना के बीच तालमेल बेहतर होगा, जिससे पूरे सैन्य तंत्र को एक नया आयाम मिलेगा.