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जेल में बंदियों पर हुआ अत्याचार, तो घरवालों ने लिखा शिकायती पत्र, चीफ जस्टिस ने जनहित याचिका मान शुरू की सुनवाई

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छत्तीसगढ़ से बड़ी खबर है. यहां बिलासपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कैदियों के परिजनों के शिकायती पत्र को जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है. इस मामले में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने जेल डीजी को पत्र लिखकर तमाम सवालों के जवाब मांगे हैं. उन्होंने पहले से ही दायर जनहित याचिकाओं में ही इन पत्रों को भी शामिल कर लिया है. ये सारे मामले जेलों में हो रही गैंगवार से जुड़े हैं. कैदियों के परिजनों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर जेल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

गौरतलब है कि, छत्तीसगढ़ की सेंट्रल जेल से लेकर उपजेलों तक में कैदियों के बीच गैंगवार और मारपीट हो रही है. इन मामलों पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. कुछ दिनों पहले सारंगगढ़ की उपजेल में कैदियों के बीच मारपीट हुई थी. उसके बाद दशहरे यानी 12 अक्टूबर को बिलासपुर की सेंट्रल जेल में गैंगवार हुआ था. इस गैंगवार में एक कैदी ने विचाराधीन बंदी पर हथियार से हमला कर दिया था. इसी घटना के बाद जेल में बंद कैदियों के परिजनों ने चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा को पत्र लिख कर जेल की अव्यवस्था की शिकायत की. उन्होंने चीफ जस्टिस से मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की.

कैदियों के परिजनों ने लगाए ये आरोप
कैदियों के परिजनों ने पत्र में बताया कि जेल में बंद विराट अपहरण कांड के आरोपी अनिल सिंह को नियमों के खिलाफ चक्करदार-नंबरदार बनाया गया है. लोगों ने पत्र में आरोप लगाया कि अनिल सिंह अफसरों के साथ मिलकर जेल में नशे का सामान बेचता है. जेल में गांजे की एक पुड़िया 500 रुपये, बीड़ी 200 रुपये, तंबाकू 100 रुपये में बेची जा रही है. ऐसे ही प्रतिबंधित नशीली दवा नाइट्रा की एक टेबलेट 100 रुपये में बेचने का भी आरोप लगाया गया है. पत्र में खाने की गुणवत्ता की शिकायत भी की गई थी. जेल में अच्छा खाना खाने के लिए बंदियों से 3500 रुपये हर महीने अलग से लिए जाते हैं. इसके लिए जेल में बाबा के नाम से पहचाने जाने वाले जेल प्रहरी आलोक खरे से मिलने के लिए कहा जाता है.

इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग
कैदियों के परिजनों ने पत्र में आरोप लगाया कि सेंट्रल जेल में अफसरों की सांठगांठ से जुआ-सट्टा चल रहा है. जेल में नशे के सारे सामान आसानी से कैदियों और बंदियों को मिल रहे हैं. इसके लिए सिर्फ उन्हें कई गुना अधिक कीमत चुकानी पड़ती है. बता दें, जेल में बंद 18 बंदियों के परिजनों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर जेल अधीक्षक, चक्कर नंबरदार और जेल प्रहरी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. इस पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है. मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीड़ी गुरु की डिवीजन बेंच ने डीजी जेल से शपथ पत्र मांगा है.