Home आस्था ‘उनका नाश होकर रहेगा’…कथा के बीच गरजे संत रामभद्राचार्य

‘उनका नाश होकर रहेगा’…कथा के बीच गरजे संत रामभद्राचार्य

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सुल्तानपुर जिले में एक हजार कलश यात्रा के साथ विजेथुआ महोत्सव का आगाज हो गया है. इस अवसर पर जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज की पांच दिवसीय रामकथा का आयोजन किया गया है. अपनी कथा के पहले ही दिन रामभद्राचार्य ने कुछ ऐसा कहा कि वो चर्चा में आ गए हैं. उन्होंने कहा, ‘जैसे रावण का अहंकार टूटा, वैसे ही विपक्ष का भी टूटेगा. इनकी मंशा देश विरोधी है, राम विरोधी है. अगली बार कथा कहने आऊं, तो ऐसा कर दो कि सुल्तानपुर की दशा बदल जाय.’

प्रसाद में हुई मिलावट पर दिया श्राप
तिरुपति बालाजी में उपद्रवियों को आड़े हाथों लेते हुए रामभद्राचार्य ने कहा कि जिस भोग में मछली का तेल, मांस का टुकड़ा मिलाकर हिन्दू आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया, मैं श्राप देता हूं उनका नाश होकर रहेगा. किसी भी स्थिति में वह मनुष्य होकर संतुष्ट नहीं रह पाएगा.

हिन्दुत्व है भारतीयता का पर्यायवाची 
उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि हिंदुत्व भारतीयता का पर्यायवाची है और जो अत्याचार मुस्लिम धर्म कर रहे हैं, वो सहन नहीं होंगे. अभी दुर्गा पूजा में देखा कितना बड़ा अनर्थ हो गया.’ इसके साथ ही रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि हमारी भविष्यवाणी सिद्ध हुई. मैंने कहा था कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.

पीएम मोदी से रखते हैं यह अपेक्षा 
संत ने कहा कि पीएम मोदी से कानून सम्मत अपेक्षाएं रखते हैं. उनकी पहली अपेक्षा है, हिंदू मंदिरों से सरकारी हस्तक्षेप हटाया जाए. दूसरी अपेक्षा है, गंगा जमुना की धारा मेल बहे. तीसरी अपेक्षा है हिंदी राष्ट्रभाषा हो और चौथी अपेक्षा है राम चरित्र मानस देश का राष्ट्रीय ग्रंथ हो और हमारा पाक अधिग्रहित कश्मीर भारत में मिल जाए. इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक पर हो रहे अत्याचार पर भी गहरी चिंता जताई.