दुनिया में दो मोर्चों पर युद्ध चल रहा है. इजरायल का हमास, हिजबुल्लाह और ईरान के साथ तो यूक्रेन का रूस के साथ. दोनों जंग में जो कॉमन देश अमेरिका है. वह एक पक्ष का खुलकर समर्थन करते रहा है. एक तरफ यूक्रेन तो दूसरी और इजरायल को समय-समय पर अपना समर्थन देता रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका युद्ध के बीच अपने हथियार बेचकर खूब पैसे बनाता है. वह यूक्रेन को लगातार हथियार की सप्लाई कर रहा है तो इजरायल में भी उसने अपनी मिसाइलों को तैनात किया है. अभी हाल की ताइवान के साथ आर्म्स डील को देख लीजिए. चीन-ताइवान के संकट के बीच उसने ताइपे से 16 हजार 820 करोड़ रुपये (2 बिलियन डॉलर) की डील कर डाली. इस डील में वह ताइवान को वह एडवांस मिसाइल बेच रहा है.
अमेरिका ताइवान को सतह से हवा में मार करने वाली एडवांस मिसाइल रक्षा प्रणाली बेचने की मंजूरी दे दी है. दोनों देशों के बीच तकरीबन दो अरब डॉलर (17 हजार करोड़ रुपये) के हथियार बेचने की मंजूरी दे दी. ताइवान के राष्ट्रपति लाइ चिंग-ते ऑफिस ने मंजूरी देने के लिए वॉशिंगटन का धन्यवाद किया है. आपको बता दें कि चीन ताइवान पर अपना दावा करता रहा है, जबकि टापू देश खुद को संप्रभू देश मानता है. हाल के दिनों में दोनों में तकरार बढ़ी हुई है. चीन ताइवान मुद्दे में अमेरिकी दखलंदाजी पर कई मौके पर नराजगी जता चुका है. ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका के इस कदम से चीन काफी नाराज हो सकता है.
चीन लगातार दबाव बना रहा है
चीन हाल फिलहाल के कुछ दिनों को देखें तो चीन ने टापू देश के आसपास अपनी सैन्य हरकत बढ़ा दी है. जब 2022 में व्हाइट हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान की यात्रा पर पहुंची थी तब भी बहुत बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया. चीन ने अमेरिकी ऑफिसियल के साथ ताइवान पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए थे. साथ ही चीन ने ताइवान सीमा क्षेत्र में सैन्य अभ्यास, लाइव मिसाइल टेस्ट के साथ प्रतिबंध और 100 से अधिक ताइवानी सामानों पर आयात प्रतिबंध लगा दिया था. तब से ही चीन ताइवान पर दबाव बनाने के लिए लगातार सैन्य अभ्यास करते रहा है. चीनी दबाव से निपटने के लिए ताइपे भी अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में लगा है.
नए राष्ट्रपति सैन्य ताकत को बढ़ा रहे हैं
द्वीप के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के नेतृत्व में ताइवान अपनी रक्षा शक्ति को बढ़ा रहा है. बीजिंग ने पिछले सप्ताह भी लाई के पदभार संभालने के बाद से दूसरी बार ताइवान को घेरते हुए क्षेत्र के आसपास युद्ध अभ्यास किया था. चीन की सेना ने मंगलवार (22 अक्टूबर, 2024) को ताइवान के पास लाइव-फायर अभ्यास शुरू किया. बड़े पैमाने पर अभ्यास करने के बाद स्व-शासित द्वीप पर दबाव बनाए रखा. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने का आह्वान किया.
आत्मरक्षा के लिए जरूरी है तैयारी
राष्ट्रपति लाई के प्रवक्ता करेन कुओ ने कहा, ‘ताइवान की आत्मरक्षा क्षमताओं को मजबूत करना क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने का आधार है.’ अमेरिकी विदेश मंत्रालय के राजनीतिक-सैन्य मामलों के ब्यूरो के अनुसार, संभावित हथियार बिक्री सौदे में सतह से हवा में मार करने वाली तीन एडवांस मिसाइल प्रणाली और संबंधित उपकरण शामिल हैं, जिनकी कीमत 1.16 अरब डॉलर तक है. सौदे में अनुमानित 82.8 लाख डॉलर मूल्य की रडार प्रणाली भी शामिल है. साथ ही अमेरिका ने नेशनल एडवांस्ड सरफेस-टू-एयर मिसाइल (NASAMS) मिसाइल AMRAAM बेच रहा है. इस क्षेत्र में ऐसी मिसाइल प्रणाली केवल इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया ही करते हैं.
लाई जब से टापू देश प्रमुख का पद संभाला है तब से वह चीन के खिलाफ अपने देश को मजबूत करने में लगे हुए हैं. वे चीन के किसी भी हमले का बेहतर तरीके से सामना करने के लिए अपनी सेना को एडवांस हथियारों को मजबूत कर रहे हैं. उनके मिशन में एडवांस मिसाइल से लेकर पनडुब्बियां निर्माण शामिल है. चीन लाई को “अलगाववादी” नेता के रूप में देखता है. चीन ने कई मौके पर बातचीत से भी इंकार कर दिया है. लाई ने बीजिंग के किसी भी प्रकार के दावे को खारिज करते हुए कहा कि केवल ताइवान के लोग ही अपना भविष्य तय कर सकते हैं.