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आखिर ऐसी क्‍या गलती थी जिसकी वजह से जेट एयरवेज दोबारा आसमान तक नहीं पहुंच सकी.

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तमाम कोशिशों के बावजूद आखिरकार देश के एक और विमानन कंपनी अब हमेशा के लिए बंद हो गई. कभी भारत की सबसे बड़ी निजी एयरलाइंस में शुमार इस कंपनी की सारी उम्‍मीदें गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खत्‍म हो गईं. पहले ऐसा लग रहा था कि साल 2024 के अंत तक इस कंपनी के विमान फिर आसमान में दिखाई देने लगेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और अब ‘आसमान की रानी’ कही जाने वाली इस कंपनी को हमेशा के लिए बंद करने का आदेश आ गया.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राष्‍ट्रीय कंपनी विधि न्‍यायाधिकरण (NCLT) के आदेश को पलटते हुए जेट एयरवेज की संपत्तियां बेचने का फैसला सुना दिया. अभी तक इस कंपनी को जालान कालरॉक कंसोर्टियम की ओर से अधिग्रहण करने की कवायद चल रही थी और माना जा रहा था कि दिसंबर, 2024 तक यह सौदा पूरा हो जाएगा. लेकिन, शीर्ष अदालत की मुख्‍य न्‍यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने कंपनी की संपत्तियां बेचकर बैंकों का कर्ज चुकाने का आदेश दे दिया है.

जेट एयरवेज को एक समय भारतीय ‘आसमान की रानी’ कहा जाता था. लग्‍जरी उड़ानों के मामले में यह तब की सरकारी विमानन कंपनी एयर इं‍डिया से भी कहीं आगे थी. आपको जानकर हैरानी होगी साल 2016 के फरवरी महीने में इस कंपनी का मार्केट शेयर 21.2 फीसदी पहुंच गया था. इसका मतलब है कि भारत के 21.2 फीसदी हवाई यात्री सिर्फ इसी कंपनी की सेवाएं लेते थे. यह कंपनी देश और विदेश के 74 शहरों के लिए रोजाना 300 उड़ानें संचालित करती थी और देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइंस में इसका नाम शुमार था.

16 हजार से ज्‍यादा कर्मचारी
जेट एयरवेज की सफलता का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि साल 2017 में इस कंपनी के साथ 16,015 कर्मचारी जुड़े थे. साल 1992 में शुरू हुई इस कंपनी ने 2005 और 2007 में खुद को शेयर बाजार में लिस्‍ट कराया. इससे पहले सहारा समूह की एयर सहारा का अधिग्रहण कर यह भारतीय घरेलू बाजार की दमदार विमानन कंपनी बन गई.

नहीं झेल पाई प्रतिस्‍पर्धा
लग्‍जरी सुविधाओं और सेवाओं के लिए जानी जाने वाली जेट एयरवेज को 2016 से ही स्‍पाइसजेट और इंडिगो जैसी किफायती उड़ानें संचालित करने वाली एयरलाइंस से तगड़ी टक्‍कर मिलनी शुरू हो गई. आखिरकार 2017 में कंपनी मार्केट शेयर के लिहाज से दूसरे नंबर पर आ गई और इंडिगो ने पहला स्‍थान पकड़ लिया. यहीं से जेट एयरवेज का घाटा बढ़ना शुरू हो गया, क्‍योंकि किफायती उड़ानों के आगे इस कंपनी को लगातार नुकसान होता रहा.

2019 से शुरू हुआ पतन
2017 की शुरुआत से शुरू हुआ घाटे का सिलसिला 2018 तक आते-आते भयंकर रूप धारण कर चुका था. कंपनी की कमाई घटने से कर्ज की किस्‍तें चुकाने में नाकाम रहने लगी और आखिरकार अप्रैल, 2019 में यह दिवालिया घोषित कर दी गई. कंपनी के फाउंडर और प्रमोटर नरेश गोयल को जेल में डाल दिया गया और उड़ानें बंद हो गई. इसके बाद से 5 साल तक कंपनी को दोबारा आसमान तक पहुंचाने की बहुत कोशिशें हुईं, लेकिन सब असफल रही. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जेट एयरवेज सिर्फ इतिहास बनकर रह जाएगी.