महाराष्ट्र में महायुति सरकार की तस्वीर अब साफ होने लगी है. एकनाथ शिंदे या देवेंद्र फडणवीस, कौन होगा महाराष्ट्र का नया सीएम? अब इस सवाल का जवाब मिल गया है. सूत्रों की मानें तो सीएम पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर एकनाथ शिंदे राजी हो गए हैं. हालांकि, उन्होंने कुछ शर्तें रख दी हैं, जिन्हें मानना भाजपा के लिए बड़ी बात नहीं होगी. सूत्रों की मानें तो महायुति सरकार में देवेंद्र फडणवीस सीएम तो श्रीकांत शिंदे शिवसेना की ओर से डिप्टी सीएम हो सकते हैं.
सूत्रों की मानें तो शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने डिप्टी सीएम या केंद्र में मंत्री बनने के भाजपा के ऑफर को ठुकरा दिया है. इसके बदले उन्होंने भाजपा को अपना काउंटर प्रस्ताव दिया है. एकनाथ शिंदे ने भाजपा से कहा है कि श्रीकांत शिंदे को डिप्टी सीएम बना दो और मुझे महायुति का संयोजक बना दो और शिवसेना को कुछ अहम पोर्टफोलियो दे दो.
क्या है शिंदे का प्रस्ताव
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने एकनाथ शिंदे को प्रस्ताव भेजा था कि डिप्टी सीएम का पद बेटे श्रीकांत को दे दें और खुद केंद्र में मंत्री बन जाएं. हालांकि, अब तक मुख्यमंत्री रहे एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनना स्वीकार नहीं है. यही वजह है कि उन्होंने अपने बेटे श्रीकांत के लिए डिप्टी सीएम पर राजी हो गए हैं, मगर खुद दिल्ली जाने से इनकार कर दिया है. उन्होंने महायुति के संयोजक बनाए जाने की मांग की है. साथ ही उन्होंने कहा कि है गृह विभाग समेत कुछ अहम पोर्टफोलियो शिवेसना को दिए जाएं.
बगैर चेहरे के महायुति ने लड़ा था चुनाव
महाराष्ट्र में महायुति को प्रचंड जीत मिली है. अब मुख्यमंत्री पद के लिए महायुति की पसंद पर सबकी निगाहें टिकी हैं. भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना और अजित गुट की एनसीपी, ये तीनों ही दल बिना किसी मुख्यमंत्री चेहरे का ऐलान किए और मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव में उतरे थे. मगर अब सीएम पद पर ही खींचतान जारी है.
पुराने फॉर्मूले पर ही बनेगी सरकार
सूत्रों का कहना है कि महायुति सरकार में एक सीएम और दो डिप्टी सीएम वाला ही फॉर्मूला दोहराया जाएगा. भाजाप की ओर से देवेंद्र फडणवीस का नाम लगभग तय है. भाजपा केवल एकनाथ शिंदे को पूरी तरह मनाना चाहती है. इसके बाद महाराष्ट्र के सीएम पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम का ऐलान हो जाएगा. अजित गुट वाली एनसीपी की ओर से अजित पवार का फिर से डिप्टी सीएम रहना भी लगभग तय है. महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा अकेले दम पर 132 सीटों पर जीती थी. इसी वजह से सीएम पद को लेकर उसका पलड़ा भारी है..