Home देश बढ़ती महंगाई, लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था और ब्याज दर, 3 बड़े दर्द की RBI...

बढ़ती महंगाई, लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था और ब्याज दर, 3 बड़े दर्द की RBI के पास सिर्फ एक दवा, जानिए क्या है CRR

0

महंगाई नियंत्रण से बाहर है और अर्थव्यवस्था में मंदी की आहट है, ऊपर से ब्याज दर घटाने का दबाव. इन 3 चुनौतियों के बीच आज से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक शुरू होने जा रही है. ऐसे में इन दोनों चुनौतियों से निपटने को लेकर आरबीआई का क्या रुख होगा, इस पर सबकी निगाहें हैं. रिजर्व बैंक की 3 दिवसीय बैठक के बाद 6 दिसंबर को मौद्रिक नीति का ऐलान करेगी. ज्यादातर जानकारों का मानना है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं करेगा, क्योंकि महंगाई के आंकड़े सेंट्रल बैंक की तय सीमा से बाहर है. हालांकि, सरकार और अन्य पक्षों का मानना है कि आरबीआई को अब रेट कट का सिलसिला शुरू करना चाहिए. वहीं, ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना ​​है कि गवर्नर शक्तिकांत दास फरवरी की बैठक में ब्याज दर में कटौती से पहले इस सप्ताह कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में कटौती कर सकते हैं.

एक्सपर्ट्स भी CRR को लेकर एकमत

आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी को लेकर अलग-अलग एक्सपर्ट्स ने अपनी राय रखी है. ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज में भारत और आसियान इकोनॉमिक रिसर्च के प्रमुख राहुल बाजोरिया ने कहा, “महंगाई और अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को देखते हुए आरबीआई नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में मौजूदा स्तर 4.50% से कटौती कर सकती है. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक मौजूदा गाइडेंस में भी बदलाव कर सकता है. हालांकि, ब्याज दरों में कटौती की संभावना फरवरी में होने वाली एमपीसी की बैठक में है. क्योंकि सीपीआई इंफ्लेशन (6.2% पर) आरबीआई के टॉलरेंस बैंड से ऊपर है.

क्या होता है CRR

कैश रिजर्व रेशियो (CRR) वह धनराशि है जिसे बैंकों को हर समय भारतीय रिजर्व बैंक के पास रखना होता है. आरबीआई जब बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाना चाहता है और लोन को बढ़ावा देना चाहता है तो वह सीआरआर में कटौती करता है. सीआरआर में कटौती बैंकों के लिए लाभदायक होती है. जब सेंट्रल बैंक CRR को कम करता है, तो कमर्शियल बैंक अपने डिपॉज़िट का सीमित हिस्सा रिज़र्व के रूप में रख सकते हैं, जिससे पैसे की आपूर्ति में बढ़ोत्तरी होती है. वहीं, CRR के बढ़ने से बैंक की उधार देने की क्षमता घट जाती है, जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में पैसों की आपूर्ति में कमी आती है.

ब्याज दरें तो फरवरी में ही कम होगी

आईसीआईसीआई बैंक के बी प्रसन्ना ने कहा कि सीआरआर में कटौती रेपो दर में कटौती की तुलना में कहीं अधिक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिससे बैंकों को विशेष रूप से छोटे और मध्यम व्यवसायों को ऋण देना शुरू करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, “आरबीआई का सीआरआर 4% के पूर्व-कोविड स्तर से अधिक है. फिलहाल यह 4.5% है, इसमें अतिरिक्त आधा प्रतिशत की बढ़ोतरी कोरोना काल की सख्ती के दौरान की गई थी. ऐसे में निश्चित रूप से सीआरआर में 50 आधार अंकों की कटौती करेंगे. यह कटौती अगले दो या तीन पखवाड़े में 25 बेसिस प्वाइंट की दो किस्तों में हो सकती है.
बी प्रसन्ना ने भी दोहराया कि ब्याज दरों में कटौती की संभावना फरवरी में होने की संभावना है, खासकर अगर हम उम्मीद करते हैं कि खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आएगी और मुख्य मुद्रास्फीति कम से कम 5% के भीतर आएगी.