सोल्जरथॉन में 21 किमी, 10 किमी एवं 5 किमी की दौड़ और 3 किमी की पैदल यात्रा होगी शामिल
दौड़ के लिए कराना होगा ऑनलाइन पंजीयन, विजेताओं को दिए जाएंगे आकर्षक पुरस्कार
गौरेला पेंड्रा मरवाही, 11 दिसम्बर 2024/ विजय दिवस के अवसर पर आगामी 15 दिसम्बर रविवार को सेना भर्ती कार्यालय रायपुर और नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण द्वारा संयुक्त रूप से सैनिक दौड़ का आयोजन नवा रायपुर में किया जा रहा है। दौड़ में भारतीय सेना के लगभग 3000 सेवारत जवान, सीएपीएफ एवं पुलिस, छात्र, आम जनता और एनसीसी कैडेट शामिल होंगे। सोल्जरथॉन में 21 किमी, 10 किमी एवं 5 किमी की दौड़ और 3 किमी की पैदल यात्रा शामिल होंगे। सोल्जरथॉन में शामिल होने के लिए प्रतिभागी ऑनलाइन पंजीयन कराएंगे। विभिन्न स्पर्धाओं के विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार दिए जाने की भी योजना है। सोल्जरथॉन में भाग लेने के लिए 15 दिसम्बर को सेंट्रल पार्क, नाबार्ड के पास, नवा रायपुर में पंजीकरण कराकर शामिल हो सकेंगे। पंजीयन क्यूआर कोड से स्कैन के माध्यम से होगा।
सैनिक दौड़ में 21 किलोमीटर दौड़ के लिए रिपोर्टिंग समय प्रातः 5.45 बजे एवं दौड़ प्रारंभ होने का समय प्रातः 6.30 बजे निर्धारित है। इसी तरह 10 किलोमीटर दौड़ के लिए रिपोर्टिंग समय प्रातः 6.45 बजे एवं दौड़ प्रारंभ होने का समय प्रातः 7.30 बजे है। 5 किलोमीटर दौड़ के लिए रिपोर्टिंग समय प्रातः 7 बजे एवं दौड़ प्रारंभ होने का समय प्रातः 7.45 बजे है। 3 किलोमीटर पैदल यात्रा के लिए रिपोर्टिंग समय प्रातः 7.15 बजे एवं प्रारंभ होने का समय प्रातः 8 बजे है। स्पर्धाओं में 21 किलोमीटर की दौड़ में महिला एवं पुरूष दोनों के लिए विनर प्राईज 11 हजार रूपए, प्रथम रनरअप प्राईज 7 हजार रूपए और द्वितीय रनरअप प्राईज 5 हजार रूपए रखा गया है। इसी तरह 10 किलोमीटर की दौड़ में महिला एवं पुरूष दोनों के लिए विनर प्राईज 7 हजार रूपए, प्रथम रनरअप प्राईज 5 हजार रूपए और द्वितीय रनरअप प्राईज 3 हजार रूपए रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि 1971 का भारत-पाक युद्ध एक ऐतिहासिक घटना थी, जिसमें 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना के सामने लगभग 90 हजार पाक सैनिकों ने सार्वजनिक रूप से आत्मसमर्पण किया था। पूरे सैन्य इतिहास में किसी भी सेना की अपने दुश्मन के खिलाफ इतनी बड़ी जीत की कोई मिसाल नहीं है। छत्तीसगढ़, हालांकि 2010 में मध्य प्रदेश से अलग होकर बना था, लेकिन इसने युद्ध के दौरान भारतीय सेना का समर्थन करने और युद्ध के बाद कैदियों को रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस दिन के महत्व को समझते हुए, इस तिथि को पूरे भारत में ’विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।