प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पेटीएम, रेजरपे, पेयू, ईजबज और चार अन्य पेमेंट गेटवे के खिलाफ जांच शुरू की है. पिछले दो साल में ईडी ने इन कंपनियों के वर्चुअल अकाउंट्स में लगभग 500 करोड़ रुपये फ्रीज कर दिए हैं. यह कार्रवाई कुछ चीनी नागरिकों द्वारा भारत से चलाए जा रहे एक बड़े क्रिप्टोकरेंसी घोटाले, एचपीजेड टोकन को लेकर की गई है.
चाइनीज कंपनी ने 20 राज्यों के लोगों से 2,200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि एकत्र की. लोगों को मोबाइल ऐप HPZ Token के माध्यम से बिटकॉइन सहित क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में निवेश करने का विकल्प दिया गया था. इसके बाद चाइनीज कंपनी ने इन पैसों को देश से बाहर भेज दिया, जिसमें से एक हिस्सा ईडी ओर से भुगतान गेटवे के साथ फ्रीज कर दिया गया था. यह घोटाला तब सामने आया जब बड़ी मात्रा में भुगतान किए जा रहे थे. राशि एक या दो दिन के लिए गेटवे के पास रही, इस दौरान ईडी ने लगभग 500 करोड़ रुपये फ्रीज करने में सफलता हासिल की.
नगालैंड की एक PMLA अदालत ने 22 जनवरी को दिल्ली निवासी भूपेश अरोड़ा को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया, क्योंकि उन्होंने एजेंसी के सामने पेश होने से इनकार कर दिया था. ईडी ने इस घोटाले में 298 लोगों की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए चार्जशीट दाखिल की है. ईडी वर्तमान में धन के स्रोत की जांच कर रही है और देख रही है कि क्या गेटवे ने संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (STR) बनाई और आरबीआई को सूचित किया अथवा नहीं.
आरबीआई के नियमों के अनुसार, सभी वित्तीय संस्थानों को STR बनानी होती है और उन्हें समय-समय पर आरबीआई को रिपोर्ट करना होता है. आरबीआई इस रिपोर्ट को जांच के लिए वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) को भेजता है. ईडी इसी बात की जांच कर रही है कि क्या इस मामले में पेटीएम अथवा अन्य कंपनियों ने कोई रिपोर्ट भेजी है अथवा नहीं.
HPZ टोकन घोटाले से जुड़े कथित ‘अपराध की आय’ में PayU के वर्चुअल खातों में सबसे अधिक राशि 130 करोड़ रुपये फ्रीज की गई. इसके बाद Easebuzz के पास 33.4 करोड़ रुपये, Razorpay के पास 18 करोड़ रुपये, CashFree के पास 10.6 करोड़ रुपये और Paytm के पास 2.8 करोड़ रुपये फ्रीज किए गए हैं. दिल्ली में 50 से अधिक कंपनियां पंजीकृत थीं, जिनके पास 84 बैंक खाते थे. कर्नाटक में 26 कंपनियों के पास 37 बैंक खाते थे. हरियाणा में 19 और उत्तर प्रदेश में 11 कंपनियां थीं. इसके अलावा, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी कंपनियां पाई गईं.