कोटा सवाई माधोपुर रेल खंड में आमली और रवांजना डूंगर रेलवे स्टेशन के बीच दो दिन पहले बड़ा ट्रेन हादसा होने से टल गया. यहां रेलवे की पटरी टूटने का मामला सामने आया है. उस वक्त पुणे-निजामुद्दीन दुरंतो एक्सप्रेस 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वहां से गुजरने वाली थी. अगर समय रहते इसका पता नहीं चलता तो बड़ा हादसा हो सकता था. हालांकि तमाम प्रयासों के बावजूद भी ट्रेन की चार पांच बोगी टूटी हुई पटरी से गुजर गई. लेकिन बाद में ट्रेन को रोक दिया. फिर पटरी को दुरस्त कर ट्रेन को वहां से आहिस्ता-आहिस्ता निकाला गया. इसके कारण ट्रेन सवा घंटे वहां खड़ी रही.
जानकारी के अनुसार यह हादसा शुक्रवार देर रात को करीब ढाई बजे हुआ. उस वक्त गश्त कर रहे दो ट्रैकमैन की सूझबूझ और समझदारी के चलते यह हादसा टला. वहां गश्त कर रहे ट्रैकमैन राकेश और छीतर को रात 2:15 पर डाउन लाइन की रेल पटरी टूटी हुई नजर आई. यह पटरी बिना वेल्डिंग वाली जगह से टूटी हुई थी. वेल्डिंग नहीं होने से इस जगह पर कोई फिश प्लेट भी नहीं बांधी हुई थी. इसके बाद दोनों ने देखा की ट्रेन आने के लिए हरा सिग्नल हुआ है. इसका मतलब यहां से किसी भी वक्त ट्रेन पहुंच सकती है.
टूटी रेल पटरी के कारण ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो सकती है. ट्रेन दुर्घटना का ख्याल मन में आते ही दोनों ट्रैकमैन के हाथ पैर फूल गए. खतरे को भांपते हुए राकेश ने आनन फानन में ट्रेन आने की दिशा डाउन लाइन पर कोटा की तरफ लाल लाइट दिखाते हुए दौड़ लगाना शुरू कर दिया. करीब 200 मीटर दौड़ने के बाद ट्रेन चालक को अलर्ट करने के लिए राकेश ने रेल पटरी पर पटाखे बांध दिए. इसके बाद राकेश लगातार लाल लाइट दिखाते हुए दौड़ता रहा. इतने में राकेश को ट्रेन आती नजर आ गई. इसके बाद राकेश मौके पर खड़ा होकर चालक को लगातार लाइट दिखाता रहा.
दूसरा ट्रैकमैन छीतर भी मौके पर खड़ा होकर लगातार लाल लाइट दिखाता रहा. इसी दौरान दुरंतो ट्रेन वहां पर पहुंच गई. लाल लाइट और इंजन की चपेट में आकर फूटे पटाखे की आवाज सुनकर खतरा भांपते हुए चालक ने ट्रेन में आपातकालीन ब्रेक लगाना शुरू कर दिए. लेकिन रुकते रुकते भी ट्रेन के चार पांच कोच टूटी हुए पटरी को पार कर आगे निकल गए. इसके बाद ट्रैकमैन ने मामले की सूचना रेलवे के अधिकारियों को दी. इस पर मौके पर पहुंचे रेलवे के अधिकारियों और कर्मचारियों को टूटी पटरी के कारण स्थिति गंभीर नजर आई.
इसके बाद सुपरवाइजर ने मौके पर एक फिश प्लेट मंगवाई फिर तकनीकी कर्मचारियों ने ट्रेन के नीचे घुसकर टूटी पटरी पर फिश प्लेट को क्लैप किया. इसके बाद ट्रेन को धीमी गति से वहां से निकाला गया. इस दौरान ट्रेन घटनास्थल पर करीब सवा घंटे से ज्यादा वक्त तक खड़ी रही. इसके बाद सुबह मौके पर अन्य सभी ट्रेनों को धीमी गति से निकाला गया. बाद में टूटी पटरी को स्थाई रूप से मरम्मत की गई और रेल यातायात को सामान्य किया गया.