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अभी तक पुराने रिजीम में ले रहे थे टैक्‍स छूट, अब जाना है नए रिजीम में, क्‍या है इसका प्रोसेस और कब तक है मौका

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वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2025 को पेश बजट में 12 लाख तक की कमाई को सीधे तौर पर इनकम टैक्‍स के दायरे से बाहर कर दिया. इसका फायदा करोड़ों टैक्‍सपेयर्स को मिलेगा. इस कदम से उन करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी, जो अभी तक पुराने टैक्‍स रिजीम के तहत निवेश और होम लोन जैसे विकल्‍पों से टैक्‍स छूट ले रहे थे. ऐसे करदाताओं को अब टैक्‍स बचाने के लिए ज्‍यादा जद्दोजहद करने की जरूरत नहीं होगी और बिना किसी दिक्‍कत के नए रिजीम को अपनाकर टैक्‍स बचा सकेंगे.

यह बात तो सभी को समझ आ गई है कि नए रिजीम में शिफ्ट करने से करदाताओं को 12.75 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्‍स बचाने में मदद मिलेगी. लेकिन, ज्‍यादातर लोगों को यह नहीं पता है कि आखिर पुराने टैक्‍स रिजीम से नए रिजीम में कैसे शिफ्ट करेंगे और इसके लिए कब तक मौका है. इस प्रक्रिया को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि नौकरीपेशा व्‍यक्ति को हर साल रिजीम बदलने का मौका मिलता है, जबकि कारोबार करने वाले करदाताओं को सिर्फ एक ही बार इसका मौका मिलता है.

अगर नया रिजीम चुनना है तो…
कोई करदाता अगर पुराने रिजीम में निवेश और डिडक्‍शन के जरिये अपना टैक्‍स बचा रहा था और उसे नए रिजीम में आना है तो इसके लिए दो रास्‍ते हो सकते हैं. पहला तो नौकरीपेशा व्‍यक्ति को यह जानकारी अपने नियोक्‍ता को नया वित्‍तवर्ष शुरू होने पर ही देनी होगी. अगर नए वित्‍तवर्ष की शुरुआत में ही वह जानकारी नहीं देता है तो आईटीआर भरते समय नए टैक्‍स रिजीम में चुनाव की जानकारी दी जा सकती है.

बिजनेस करने वालों के लिए
अगर कोई बिजनेसमैन है तो उसे सिर्फ एक बार ही इनकम टैक्‍स रिजीम चुनने का मौका मिलेगा. इसके लिए तय फॉर्म का चुनाव करना जरूरी होगा. कारोबार करने वालों को वित्‍तवर्ष की शुरुआत में ही अपना टैक्‍स रिजीम चुनने की जरूरत नहीं है. जब वह अपना आईटीआर दाखिल करेगा, उस समय फॉर्म में अपनी ओर से चुने गए रिजीम की जानकारी भी देनी होगी.

  • वित्तीय वर्ष के दौरान किए जाने वाले निवेश और खर्चों की सूची बनाएं, जिन पर आप इनकम टैक्‍स छूट का दावा करना चाहते हैं.
  • पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत कटौती/छूट पाने वाले खर्चों या निवेशों की राशि का मूल्यांकन करें, जो नई टैक्स व्यवस्था के तहत योग्य नहीं हैं.
  • पुराने टैक्स सिस्टम और नए टैक्स सिस्टम के तहत टैक्स देयता की तुलना करने के लिए एक तुलनात्मक चार्ट तैयार करें. इस संदर्भ में,आप आयकर वेबसाइट पर उपलब्ध टैक्स कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं.

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