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धारावी के चॉल जैसा हुआ एयर इंडिया का हाल, पायलट हो या एयरहोस्टेज या फिर पैसेजर सबका हुआ बुरा हाल

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टोरंटो से दिल्‍ली के लिए उड़ान भरने वाले प्‍लेन का हाल धारावी के चॉल जैसा हो गया. बात पायलट या एयर होस्‍टेज की हो, या फिर पैसेंजर्स की, महज साढे चार घंटे में सबका हाल बुरा हो गया. दरअसल, शिकागो से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाला एयर इंडिया का बोइंग 777-300 ER पैसेंजर्स की उम्मीदों और सपनों को लेकर हवा में था. लेकिन किसी को क्या पता था कि कुछ घंटे के सफर के बाद सब ठहर जाएगा और वे वहीं लौटने को मजबूर हो जाएंगे, जहां से चले थे.

दरअसल, यह घटना 6 मार्च 2025 की उस सुबह की है. शिकागो इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 342 पैसेंजर्स के साथ उड़ान भरने वाली फ्लाइट AI126 ने दिली के लिए उड़ान भरी थी. प्‍लेन के पंख फैलाने के साथ सभी को दिल्ली की ज़मीन पर उतरने की आस थी, लेकिन आसमान में मंडराते इस प्‍लेन के भीतर एक अकल्पनीय संकट सिर उठा रहा था और वह शौचालयों में हुई गड़बड़ी. करीब साढ़े चार घंटे की उड़ान के बाद, जब प्‍लेन ने ग्रीनलैंड के तट को पार किया, तभी अचानक क्रू को एक भयावह सच्चाई का पता चला कि 10 में से 9 शौचालय जाम हो चुके थे.

पूरा प्‍लेन एक असाधारण संकट की ओर बढ़ रहा था. सौभाग्य से, बिजनेस क्लास का एकमात्र शौचालय अब भी चालू था, मगर यह प्‍लेन में मौजूद 342 पैसेंजर्स की जरूरतों के लिए नहीं पर्याप्त था.
आखिरकार वापसी का लिया गया बड़ा निर्णय
पैसेंजर्स में बेचैनी बढ़ने लगी, क्रू सदस्यों की पेशानी पर पसीने की बूंदें झलकने लगीं. प्‍लेन में मौजूद इंजीनियरों ने समस्या को ठीक करने की हर संभव कोशिश की, मगर आसमान में उड़ते प्‍लेन में यह संभव नहीं था. अब कप्तान के सामने एक ही विकल्प था और वह था शिकागो वापसी का. चार घंटे 25 मिनट की उड़ान के बाद, जब प्‍लेन वापस मुड़ा, तो हर यात्री के दिल में निराशा और असमंजस घर कर गया. दिल्ली की ओर बढ़ने वाले सफर को बीच में छोड़कर फिर से शिकागो लौटना किसी बुरे सपने जैसा था.

रात के 9 बजे… दिल्‍ली नहीं टोरंटों में हुई लैंडिंग
जिस घड़ी पैसेंजर्स को दिल्ली की ज़मीन पर उतरना था, उसी घड़ी वे शिकागो एयरपोर्ट पर फिर से खड़े थे. करीब साढ़ चार घंटे के सफर के बाद वे ठीक वहीं थे, जहां से चले थे. एयर इंडिया की ओर से पैसेंजर्स को असुविधा के लिए खेद जताते हुए वैकल्पिक व्यवस्था की घोषणा की गई. लेकिन लेकिन वैकल्पिक व्‍यवस्‍था होने में करीब 10 घंटे का समय लग गया. यह दस घंटे हर पैसेंजर के लिए मानसिक परेशानी से भरे हुए थे. ज्‍यादातर पैसेंजर थकान से चूर हो चुके थे.

टॉयलट का जाम होना तकनीकी खराबी या लापरवाही?
एविएशन एक्‍सपर्ट के अनुसार, फ्लाइट में शौचालयों का जाम होना कोई नई बात नहीं है. अक्सर यात्री कुछ ऐसी चीजें फ्लश कर देते हैं, जिससे यह समस्या उत्पन्न होती है. लेकिन सवाल यह है कि टोरंटो एयरपोर्ट से टेकऑफ से पहले इस प्‍लेन के टॉयलेट को क्‍या चेक नहीं किया गया था. यदि हां, तो कुछ ही घंटों में ऐसा क्‍या हुआ, जिसकी वजह से प्‍लेन के लगभग सभी टॉयलेट जाम हो गए. आपको बता दें कि इस दौरान, पैसेंजर्स को टिकट रद्द करने पर पूरा रिफंड और फ्री रिशेड्यूलिंग की पेशकश भी की गई, मगर क्या यह उन 10 घंटों की परेशानी का मुआवज़ा था? यह सवाल अब भी हवा में तैर रहा था—ठीक उस प्‍लेन की तरह, जो अपनी मंज़िल तक कभी पहुंच ही नहीं पाया.

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