

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार लाल निशान में खुला. सुबह 9.35 बजे सेंसेक्स 371.74 अंक या 0.50 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73,743.43 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 104.25 अंक या 0.46 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,356.05 पर था. शेयर मार्केट में पिछले पांच महीनों से जारी गिरावट की सबसे ज्यादा चोट हिन्दू अविभाजित परिवारों (HUFs) पर पड़ी है. सितंबर 2024 में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद से एचयूएफ की इक्विटी होल्डिंग में 87% की गिरावट दर्ज की गई है, जो किसी भी अन्य निवेशक श्रेणी से अधिक है.
शेयर बाजार की गिरावट और अस्थिरता ने न केवल हिन्दू अविभाजित परिवारों पर पड़ी है, बल्कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs), ब्रोकरर्स, साझेदारी फर्मों, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (FCCBs) धारकों और वित्तीय संस्थान भी इसकी चपेट में आए हैं. सेंसेक्स और निफ्टी ने इस साल अब तक 4.5% की गिरावट दर्ज की है. बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 14% और 17% तक की गिरावट देखी गई है. सितंबर से अब तक विदेशी निवेशकों (FIIs) ने भारतीय बाजारों से ₹2.5 लाख करोड़ से अधिक की बिकवाली की है. इसका कारण ऊंचे मूल्यांकन, आर्थिक मंदी और बढ़ते वैश्विक व्यापार युद्धों को माना जा रहा है.
किसकी कितनी गिरी होल्डिंग
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2024 में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद से HUFs की इक्विटी होल्डिंग में 87% की गिरावट आई है. इसके बाद ब्रोकर्स और साझेदारी फर्मों की होल्डिंग क्रमशः 85% और 27% तक गिर गई है. इसी तरह विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (FCCBs) धारकों और वित्तीय संस्थानों की इक्विटी संपत्ति में भी भारी गिरावट आई, जहां उनकी होल्डिंग क्रमशः 26.5% और 23% तक घट गई. दूसरी ओर, FIIs की इक्विटी होल्डिंग सितंबर के उच्चतम स्तर से लगभग 20% कम हो गई, लेकिन कुल प्रतिशत के लिहाज से उनका नुकसान छठे स्थान पर रहा.
इसके अलावा, बीमा कंपनियों, बैंकों, डिपॉजिटरी रिसीट्स, ट्रस्टों और म्यूचुअल फंड्स की इक्विटी संपत्तियों में 11-16% तक की गिरावट आई है. कॉरपोरेट्स, विदेशी डिपॉजिटरीज, स्थानीय पेंशन फंड्स, पोर्टफोलियो मैनेजर्स और अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड्स की इक्विटी होल्डिंग 2-10% तक घटी है.
FDI और विदेशी वेंचर कैपिटल निवेश में इजाफा
शेयर बाजार में आई इस जोरदार गिरावट के बावजूद, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पोर्टफोलियो में 3.3% की वृद्धि दर्ज की गई है. इसी तरह NRI निवेश और विदेशी वेंचर कैपिटल निवेश में क्रमशः 2.6% और 1.1% की बढ़त देखने को मिली है.