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शेयर बाजार में गिरावट के बाद क्या कर रहे हैं निवेशक? सामने आ गया ट्रेंड, AMFI ने जारी किए आंकड़े

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फरवरी में भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई. वैश्विक स्तर पर फैली तमाम अनिश्चितताएं, कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे और सुस्त आर्थिक परिदृश्यों की वजह से यह गिरावट आई. इस गिरावट ने निवेशकों में खौफ जरूर पैदा कर दिया और कई निवेशक अपने पैसे बाजार में लगाने से हिचकिचाने लगे. भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के संगठन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों से तो कम से कम यही तस्वीर नजर आती है.

बाजार में गिरावट का सबसे बड़ा असर इक्विटी और सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan – SIP) कैटेगरी पर पड़ा. फरवरी में SIP के माध्यम से आया निवेश तीन महीने के निचले स्तर पर गिरकर ₹25,999 करोड़ रह गया, जबकि जनवरी में यह ₹26,400 करोड़ था. हालांकि यह गिरावट मामूली लग सकती है, लेकिन यह बताता है कि निवेशक अब अधिक सतर्क हो गए हैं और बाजार की अस्थिरता पर ध्यान दे रहे हैं. मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के सुरंजना बोरठाकुर ने बताया कि इस गिरावट का एक कारण फरवरी का महीना छोटा होना भी हो सकता है.

इक्विटी म्यूचुअल फंड में तेजी से गिरावट
इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश भी काफी घटा. जनवरी में यह आंकड़ा ₹39,687 करोड़ था, जो फरवरी में 26% गिरकर ₹29,303 करोड़ रह गया. इस दौरान प्रमुख सूचकांकों में भी भारी गिरावट देखी गई. बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 5.55% और निफ़्टी 50 (Nifty 50) 5.89% गिरा.

स्मॉल और मिड कैप शेयरों पर आधारित फंड्स में सबसे अधिक गिरावट देखी गई, जहां इनफ्लो में क्रमशः 34.9% और 33.8% की गिरावट आई. दूसरी ओर, बड़े शेयरों पर केंद्रित लार्ज-कैप (Large-Cap) फंड्स को अपेक्षाकृत कम 6.4% की गिरावट का सामना करना पड़ा. दिलचस्प रूप से, फोकस्ड फंड्स (Focused Funds) में 64.4% की तगड़ी वृद्धि देखी गई, जिससे यह संकेत मिलता है कि कुछ निवेशक अभी भी बाजार में टारगेट साधना चाह रहे हैं.

निवेशकों की चिंता बढ़ाने वाले कारक
मार्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया की सीनियर एनालिस्ट नेहल मेश्राम (Nehal Meshram) ने बताया कि वैश्विक और घरेलू घटनाओं का निवेशकों के मनोभाव पर गहरा असर पड़ा है. उन्होंने कहा, “ग्लोबल ट्रेड टेंशन, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सख्त मौद्रिक नीति, भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं, घरेलू स्तर पर धीमी आय वृद्धि और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा लगातार बिकवाली से बाजार पर दबाव बना हुआ है.” हालांकि, उनका मानना है कि घरेलू निवेशकों का आत्मविश्वास अब भी मज़बूत बना हुआ है, जो म्यूचुअल फंड्स में जारी निवेश से स्पष्ट होता है.

डेट म्यूचुअल फंड्स में भारी निकासी
जहां इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में गिरावट देखी गई, वहीं डेट (Debt) म्यूचुअल फंड्स से भारी मात्रा में निकासी हुई. फरवरी में कुल ₹6,525 करोड़ की निकासी हुई, जबकि जनवरी में इसमें ₹1.28 लाख करोड़ का निवेश हुआ था. अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन (Ultra Short Duration) और मनी मार्केट फंड्स (Money Market Funds) से सबसे अधिक निकासी हुई, जबकि लिक्विड (Liquid) और कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स (Corporate Bond Funds) में मामूली इनफ्लो देखा गया.

नेहल के अनुसार, निवेशक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की संभावित ब्याज दर कटौती की उम्मीद में अपने निवेश को फिर से व्यवस्थित किया जा सकता है. लंबी अवधि के बॉन्ड्स में ब्याज दरों में संभावित कटौती से सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है.