

राजधानी स्थित महामाया मंदिर की ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताएं इसे छत्तीसगढ़ के सबसे महत्वपूर्ण शक्ति स्थलों में से एक बनाती हैं. देवी पुराण के अनुसार, महामाया मां को महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में पूजा जाता है. मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष व्यास तिवारी बताते हैं कि मंदिर के गर्भगृह में स्थापित विग्रहों का क्रम अलग है. यहां महाकाली बीच में, महालक्ष्मी और महासरस्वती उनके दोनों ओर स्थापित हैं.
महामाया मंदिर की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि पूरे भारत में यह एकमात्र देवी मंदिर है. जहां दो भैरव, बटुक भैरव और काल भैरव की स्थापना की गई है. यह इस मंदिर की पौराणिकता और प्रामाणिकता को दर्शाता है.
तीनों विग्रहों के तिरछे होने का रहस्य
मंदिर में स्थित महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के विग्रहों की संरचना तिरछी है. दर्शनार्थियों को एक साथ तीनों विग्रहों के दर्शन नहीं होते है. बल्कि केवल दो ही देवी के दर्शन होते हैं. यह अनोखी संरचना मंदिर की प्राचीनता और इसकी दिव्यता को दर्शाती है.
सूर्य किरणें करती हैं माता को नमन
मंदिर प्रांगण में मां महामाया के सामने समलेश्वरी माता की स्थापना की गई है. मान्यता के अनुसार, चैत्र और क्वार नवरात्रि से 15 दिन पूर्व सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें समलेश्वरी माता के चरणों को स्पर्श करती हैं और सूर्यास्त के समय ये किरणें मां महामाया को नमन करती हुई दिखाई देती हैं. यह दृश्य मंदिर की अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा को प्रमाणित करता है.मंदिर परिसर में स्थित स्वयंभू हवन कुंड का उल्लेख भी विशेष रूप से किया जाता है. मान्यता है कि एक बार तेज बारिश के दौरान यहां बिजली गिरने से गड्ढा बन गया, जिसे बाद में हवन कुंड का रूप दे दिया गया. नवरात्रि के दौरान विशेष हवन इसी पवित्र कुंड में किया जाता है.
11वीं शताब्दी का ऐतिहासिक मंदिर
महामाया मंदिर 11वीं शताब्दी में है यवंशी राजाओं द्वारा निर्मित किया गया था. इसकी भव्य वास्तुकला और धार्मिक मान्यताएं इसे छत्तीसगढ़ के प्रमुख शक्ति पीठों में शामिल करती हैं. मंदिर परिसर में विभिन्न देवी-देवताओं के विग्रह स्थापित हैं, जो इसकी धार्मिक महत्ता को और बढ़ाते हैं.
नवरात्रि में विशेष आयोजन
चैत्र नवरात्रि के दौरान महामाया मंदिर में विशेष अनुष्ठान, हवन और भव्य आरती का आयोजन किया जाता है. इस दौरान भक्तों की विशाल भीड़ मंदिर में माता के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उमड़ती है. महामाया मंदिर न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी पौराणिकता और ऐतिहासिकता इसे छत्तीसगढ़ के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिरों में शामिल करती है.