

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के मुस्लिम आरक्षण और संविधान संशोधन को लेकर दिए गए बयान ने देश की सियासत में भूचाल ला दिया है. NEWS18 इंडिया डायमंड स्टेट्स समिट में दिए इंटरव्यू में डीके शिवकुमार ने मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन की तरफ इशारा किया था. दरअसल शिवकुमार से पूछा गया कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण मान्य नहीं है तो फिर सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को 4 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव को लागू कैसे कर पाएंगे. इस पर कर्नाटक के डिप्टी सीएम ने कहा, ‘हां मैं सहमत हूं, देखते हैं, देखते हैं, कोर्ट क्या कहता है, हमने कुछ शुरुआत की है, मुझे पता है कि लोग कोर्ट जाएंगे, अच्छे दिन का इंतज़ार करते हैं, अच्छे दिन आएंगे, बहुत सारे बदलाव हैं, संविधान बदलेगा, ऐसे फैसले भी हैं जो संविधान को बदल देते हैं.’
डीके शिवकुमार के इस बयान को बीजेपी ने जैसे हाथोंहाथ लपक लिया. बीजेपी ने संसद के दोनों सदनों में इस मामले पर कांग्रेस को घेरते हुए खूब हंगामा किया. इस कारण दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. हालांकि इस पूरे विवाद के बीच एक सवाल यह उठ रहा है कि क्या आरक्षण को लेकर यह शिगूफा शिवकुमार ने हनी ट्रैप केस से ध्यान हटाने के लिए तो नहीं किया…
शिवकुमार के बयान के मायने
शिवकुमार का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब कर्नाटक में कांग्रेस सरकार अल्पसंख्यक वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश में जुटी है. राज्य में मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 13% है, और यह वोट बैंक विधानसभा और लोकसभा चुनावों में निर्णायक साबित हो सकता है. बीजेपी ने पिछले साल मुस्लिम आरक्षण को खत्म कर दिया था, जिसके बाद कांग्रेस ने इसे फिर से लागू करने का वादा किया. शिवकुमार का बयान इस वादे को और मजबूती देने की कोशिश लगता है, लेकिन संविधान संशोधन का जिक्र करके उन्होंने एक ऐसा दांव खेला, जिसने बीजेपी को हमलावर होने का मौका दे दिया. बीजेपी इसे संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ बता रही है, जबकि कांग्रेस इसे सामाजिक न्याय का मुद्दा कहकर बचाव कर रही है.