Home देश सस्ती दवा मिलने का खुला रास्ता, मरीजों को लुटने से बचाने को...

सस्ती दवा मिलने का खुला रास्ता, मरीजों को लुटने से बचाने को सरकार ने उठाया बड़ा कदम

0

मरीजों को सस्‍ती दवाएं उपलब्‍ध कराने को दिल्‍ली सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे अपने परिसर में कम से कम एक जन औषधि केंद्र स्थापित करें. इसका उद्देश्य मरीजों को महंगी ब्रांडेड दवाओं की बजाय सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराना है. जन औषधि केंद्रों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) प्रमाणित दवाएं और चिकित्सा उपकरण 50-70% कम कीमत पर उपलब्ध होंगे. आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथिक अस्पतालों में ये केंद्र नहीं खुलेंगे.

सरकार ने लोगों को सस्‍ती दवाएं उपलब्‍ध कराने के लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र योजना चला रही है. इस योजना के तहत अब तक देशभर में 13,200 जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं. सरकार का लक्ष्य मार्च 2027 तक इनकी संख्या 25 हजार तक पहुंचाने का है. कोई भी व्यक्ति, अस्पताल, एनजीओ, या फार्मासिस्ट जन औषधि केंद्र खोल सकता है.

शुरू हुई प्रक्रिया
जन औषधि केंद्रों की स्थापना की प्रक्रिया पहले ही कई सरकारी अस्पतालों में शुरू हो चुकी है. इनमें जीबी पंत अस्पताल, लोक नायक अस्पताल, संजय गांधी मेमोरियल, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, गुरु नानक आई सेंटर, मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज, बाबू जगजीवन राम मेमोरियल अस्पताल और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय शामिल हैं.

अस्पताल भी जन औषधि केंद्र से खरीदेंगे दवा
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने फैसला किया है कि अगर किसी अस्पताल में कोई आवश्यक दवा उपलब्ध नहीं होती है, तो उसे स्थानीय बाजार से खरीदने के बजाय जन औषधि केंद्र से मंगाने की अनुमति होगी. स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि जन औषधि केंद्रों को खोलने का निर्णय इसी महीने लिया गया था. स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने सभी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट्स और स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) के तहत दवा आपूर्ति की प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए हैं. इस संबंध में केंद्र सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं.

हाईकोर्ट की समिति की थी सिफारिश
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा गठित डॉ. एसके सरीन के नेतृत्व वाली छह सदस्यीय समिति ने सरकारी अस्पतालों में दवा संकट दूर करने के लिए कई सिफारिशें की थीं. इसमें जन औषधि केंद्रों की स्थापना का सुझाव भी दिया गया था. सरकारी अधिकारियों के अनुसार, जन औषधि केंद्रों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) प्रमाणित दवाएं और चिकित्सा उपकरण 50-70% कम कीमत पर उपलब्ध होंगे. इन केंद्रों में स्थानीय मांग के अनुसार दवाएं रखी जाएंगी, लेकिन 2,000 से अधिक उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएं और 300 सर्जिकल उपकरण महंगे ब्रांडेड उत्पादों की तुलना में सस्ते दरों पर मिलेंगे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here