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शादी में पान खिलाने की प्रथा क्यो?

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Why the custom of feeding paan in marriage?
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रायपुर,16 दिसंबर | Sadi me paan khilane ki Pratha : यूँ तो पान को मुख का आभूषण कहा जाता है और लोगों का शौक होता है पान खाना। किसी भी शुभ अवसर पर भोजन आदि में पान खिलाने की परंपरा देखी जाती है। किसी भी शादी में दूल्हा और दुल्हन को पान खिलाने की अनिवार्य प्रथा है।

जिसे 1 सामान्यतया महज सौंदर्य को बढ़ाने की दृष्टि से ही देखा जाता है। परंतु यह मात्र मुख का आभूषण नहीं है। (Sadi me paan khilane ki Pratha) शादी के अवसर पर दूल्हा-दुल्हन सहित सभी लोग तरह-तरह के व्यंजनों का आनंद उठाते हैं।

खाते-पीते समय कोई नहीं सोंचता कि अधिक और अनावश्यक खाने से पेट संबंधी रोग भी हो सकते हैं।

तो बस उन्हीं पेट संबंधी रोगों से बचाने के लिए पान खिलाने की अनिवार्य (Sadi me paan khilane ki Pratha) प्रथा रखी गई है। पान एक औषधि भी है,जिससे पेट संबंधी कई बीमारियों की रोकथाम होती है।

हमारा पाचन तंत्र सुव्यस्थित करने में भी सहयोग देता है। साथ ही हमारे द्वारा खाए गए कई प्रकार के व्यंजनों को पान पचा भी देता है। पान के इन सभी गुणों के साथ पान मुख का आभूषण कहलाता है।

जिसे खाने के बाद होठों पर पानी आ जाता है। और लाली छा जाती है जो दुल्हा और दुल्हन की सुंदरता में चार चांद लगा देती है।