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मंदी से बच जाएगी यूएस की इकोनॉमी! जानकारों ने कहा- संभव पर चुनौतीपूर्ण काम, भारत के लिए क्यों है ये अच्छी खबर?

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संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) के मंदी से बच जाने की उम्मीद जताई जा रही है. कई अर्थशास्त्री इस बात को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं कि अमेरिका में मंदी नहीं आएगी. ऐसा मानने वाले अर्थशास्त्रियों में फेडरल रिजर्व (यूएस का केंद्रीय बैंक) का अपना स्टाफ भी शामिल है. हालांकि, वे यह भी मान रहे हैं कि इस बात को लेकर सुनिश्चित होने में 2024 भी लगभग पूरा बीत जाएगा. फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल का कहना है कि महंगाई एक बार फिर 2 फीसदी के संतोषजनक दायरे के अंदर आ जाएगी लेकिन यह काफी चुनौतीपूर्ण होगा.

बार्कलेज़ कैपिटल इंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री जोनाथन मिलर ने कहा, “दुर्भाग्य से, मुझे नहीं लगता कि इनमें से किसी पर भी तस्वीर कम से कम दो तिमाहियों तक स्पष्ट होगी, हालांकि यह सही है कि मुद्रास्फीति में कमी आई है, जिससे फेड को अभी कुछ समय मिल गया है.” उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि फेडरल रिजर्व को इस बात का अंदाजा अच्छे से है कि मंदी से बचने की राह सुगम (सॉफ्ट लैडिंग) तो बिलकुल नहीं है.” सॉफ्ट लैडिंग की इन मामलों में कोई तय परिभाषा नहीं है लेकिन एक आम मत यह है कि जब महंगाई को बगैर श्रमबल को हानि पहुंचाए या मंदी में गए, कम किया जाता है तो उसे सॉफ्ट लैंडिंग कहते हैं.

छ अन्य अर्थशास्त्रियों की राय
अर्थशास्त्री एना वॉन्ग का कहना है कि फेडरल रिजर्व एक लंबे समय की बात कर रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक की ओपन मार्केट कमिटी (पॉलिसी सेटिंग ग्रुप) का अनुमान है कि 2025 तक महंगाई दर 2 फीसदी तक आ जाएगी. बकौल वॉन्ग, “हालांकि, एक सधी हुई अर्थव्यवस्था और स्थिर दामों की तस्वीर अगले साल के आखिरी कुछ महीनों में ही साफ हो जाएगी.” उन्होंने कहा कि हाल में जारी हुए बेरोजगारी के आंकड़ों ने सभी को चौंका दिया है. यूएस में बेरोजगारी दर घटकर 3.5 फीसदी पर आ गई है जो पिछले एक दशक में सबसे कम है.

रेनेसेंस मैक्रो रिसर्च एलएलसी के मुख्य अर्थशास्त्री नील दत्ता का कहना है कि बाजार में मंदी के साथ कीमतों में तेज उछाल देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा है कच्चे तेल की कीमतें ऊपर जाएंगी व घर भी महंगे होंगे जिससे लोगों की बहुत ज्यादा आय किराये में चली जाएगी. उनका कहना है कि सॉफ्ट लैंडिंग हुई है या नहीं इसका पता इसके घटित होने के बाद ही पता चलेगा.

भारत को क्या फायदा?
दरअसल, भारत का आईटी सेक्टर अभी वित्त की समस्या से जूझ रहा है. इसका बड़ा कारण यह है कि भारतीय आईटी कंपनियों को एक बहुत बड़ा बाजार यूएस है. वहां मंदी का मतलब है कि काम के अवसर कम होना. जिसका सीधा असर यहां आईटी हब्स में बैठे लोगों व कंपनियों पर होगा. अगर यूएस खुद को मंदी से बचा लेता और अर्थव्यवस्था दुरुस्त रहती है तो भारतीय आईटी कंपनियों के पास काम की नहीं होगी जो अंतत: भारतीय श्रमबल के लिए लाभदायक होगा.